जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती इस वक़्त हिरासत से रिहा हो चुकी हैं. रिहा होते ही उन्होंने जम्मू कश्मीर की अवाम को भड़काना शुरू कर दिया हैं. शायद जम्मू कश्मीर में बनी हुई शांति महबूबा को रास नहीं आ रही इसीलिए महबूबा ने अब भारत की आन बान और शान तिरंगे का अपमान किया हैं.
महबूबा मुफ़्ती ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा की, “मेरा झंडा यह है (उसके सामने मेज पर रखे जम्मू-कश्मीर के झंडे की ओर इशारा करता हुए) जब यह ध्वज वापस आएगा, हम उस ध्वज (तिरंगा) को भी ऊपर उठाएंगे. जब तक हमें अपना झंडा वापस नहीं मिल जाता, हम किसी और झंडे को नहीं उठाएंगे… इस झंडे ने उस झंडे के साथ हमारे रिश्ते को मजबूर कर दिया.”
भारत में किसी भी राज्य को अपना झंडा लगाने की मनाही हैं, यह सिर्फ उन हालातों में मुमकिन था जब तक जम्मू कश्मीर में धरा 370 लागू थी. यह एक ऐसी धारा थी जिसमें जम्मू कश्मीर बस किताबों में भारत का अभिन्न अंग था न की हक़ीक़त में. क्योंकि उसका संविधान, उसका कोर्ट और उसका झंडा सब अलग थे. धारा 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर असल में भारत का अभिन्न अंग बन पाए हैं, इसलिए जब तक धारा 370 वापिस नहीं आती तब तक जम्मू कश्मीर को अपना झंडा उठाने का मौका नहीं मिल सकता.
महबूबा मुफ़्ती ने आगे ब्यान देते हुए कहा है की, जिन्होंने हमारा हक़ छीना हैं उन्हें हमारा हक़ लौटाना होगा. मैं अपने लोगों यानी जम्मू कश्मीर की अवाम को इसका यकीन दिलाती हूँ. अब्दुल्लाह परिवार के बाद मुफ़्ती परिवार ने भी ऐलान कर दिया है की, जब तक जम्मू कश्मीर में धारा 370 वापिस नहीं लौटेगी वह तब तक चुनाव नहीं लड़ेंगे.
इसके पीछे का एक कारण यह भी हो सकता है की जम्मू कश्मीर में अब्दुल्लाह और मुफ़्ती परिवार कांग्रेस को अपना समर्थन देते हुए कांग्रेस के लिए जम्मू कश्मीर खुले मैदान की तरह राजनीती का रास्ता साफ़ कर दें. जिससे कांग्रेस के सांसदों की संख्या बढ़ जाए और बड़ी जीत के साथ ही कांग्रेस वापिस धारा 370 को लागु करवा दे. इसको लेकर कांग्रेस के कई नेता पहले ही ब्यान दे चुके हैं की अगर कांग्रेस बहुमत के साथ सत्ता में आती है तो जम्मू कश्मीर में धारा 370 वापिस लागु कर देगी.