2014 से 2019 तक भारत में जितने भी चुनाव हुए सीधे तौर पर उन चुनावों में विपक्ष ने केंद्र सरकार और मोदी को लेकर कड़े तेवर दिखाए. जबकि 2019 लोकसभा चुनावों के बाद चाहे दिल्ली हो या फिर बिहार, राजनितिक पार्टियां सीधे मोदी और केंद्र का नाम लेने से बचती हुई दिखाई दे रही हैं.
आम आदमी पार्टी भी इस बार मोदी बनाम केजरीवाल नहीं बल्कि मनोज तिवारी बनाम केजरीवाल करने में कामयाब हुई थी. बिहार में भी RJD, Congress और CPM इस चुनाव को नितीश बनाम तेजस्वी बनाने की कोशिश कर रही हैं. इसके पीछे का आखिर क्या कारण हो सकता हैं? आईये देखते हैं. क्योंकि पिछले बिहार चुनाव में रैली की शुरुआत ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपशब्द बोलने से शुरू होती थी.
दरअसल लोकसभा चुनाव में जिस भी पार्टी ने सीधे मोदी के खिलाफ बयानबाज़ी की थी. उस पार्टी की पुरे देश लगभग जमानत जब्त हो गयी थी. उदहारण के लिए आप RJD और AAP ही ले लीजिए. इसलिए अब राजनितिक पार्टियों को यह समझ में आ गया हैं की, लोग मोदी से परेशान हो सकते हैं लेकिन उनके खिलाफ कुछ सुन नहीं सकते.
इसलिए अब राजनितिक पार्टियां विधानसभा चुनावों के दौरान सिर्फ राज्य के मुद्दों पर ही चुनाव लड़ रही हैं. जबकि बीजेपी इस बार भी राष्ट्रीय मुद्दों के साथ बिहार चुनाव में उतरी हैं, हालाँकि राष्ट्रीय मुद्दों के साथ जब-जब बीजेपी विधानसभा चुनावों में उतरी है उसे कड़ी हार का सामना करना पड़ा हैं. उदहारण के लिए दिल्ली का दो बार हारना, राजस्थान हारना, पंजाब और मध्य प्रदेश हारना आदि.
इसीलिए LJP के बार बार कहने पर भी बीजेपी ने बिहार में JDU का साथ नहीं छोड़ा और JDU अपने राज्य के मुद्दों के साथ और बीजेपी अपने राष्ट्रीय मुद्दों के साथ चुनाव मैदान में प्रचार करने रही हैं. RJD के राष्ट्रिय प्रवक्ता ने कहा की NDA की तरफ से बिहार में नरेंद्र मोदी चुनाव नहीं लड़ रहे बल्कि नितीश कुमार लड़ रहे हैं.
पिछले 15 सालों में बिहार के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि नितीश कुमार हैं. तो इसलिए महागठबन्धन की बैठक में तय हुआ था की चुनाव केवल और केवल राज्य के मुद्दों पर लड़े जाएंगे. सवाल केवल और केवल नितीश कुमार से पूछे जाएंगे. जब लोकसभा चुनाव आएंगे तब सवाल और मुद्दे अलग होंगे तब हमारे निशाने पर नितीश नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी होंगे.