देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों की देश में कमी नहीं हैं, लेकिन उनकी गलती है की उन्होंने भारत जैसे देश में जन्म लिया हैं. जहाँ के लोगों को यह पता ही नहीं है की देश में मुक्केबाज़ी और क्रिकेट इलावा भी कोई गेम होता हैं. आपको याद होगा की देश के फुटबॉल टीम के कप्तान को एक बार लाइव आकर कहना पड़ा था की हमें आपके सपोर्ट की जरूरत हैं.
आज हम बात करने जा रहें हैं वूशु गेम के 56 और 60 किलोग्राम भार वर्ग की एक ऐसी खिलाड़ी की जिसने 9 बार नेशनल लेवल पर और 24 बार स्टेट लेवल पर मैडल जीते हैं. यह खिलाड़ी हरियाणा में रोहतक जिले के इंदरगढ़ गांव में रहने वाली है और खेल विभाग से कैश अवॉर्ड और एससी कैटेगरी में मिलने वाली स्कॉलरशिप के इंतजार में उसने तीन साल गँवा दिए हैं.
खेल विभाग का कहना है की, उस खिलाड़ी का नाम हमारी सूचि में तो हैं, लेकिन पीछे से अभी तक उसके नाम पर कोई पैसे नहीं आ रहे. खिलाड़ी का नाम शिक्षा बताया जा रहा हैं, उसने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा की एक खिलाड़ी की डाइट और फिटनेस के ऊपर बहुत खर्च आता हैं. मेरी घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं हैं. मेरे माँ बाप इस खर्च को नहीं झेल सकते है और न ही मुझे अभी तक स्कॉलरशिप मिली हैं.
शिक्षा की मां राजदेवी ने मीडिया को बया देते हुए कहा की, हमने मेहनत मजदूरी करके बेटी के सपने को पूरा करने के लिए खूब प्रयास किया हैं. उसे दूसरे राज्यों में खेलने के लिए भी भेजा हैं, वह मैडल जीत कर आती है तो हमें भी ख़ुशी होती हैं. लेकिन सरकार की तरफ की कोई मदद न मिलने के कारण हमारी बेटी को भी अब मजबूरी में मनरेगा में मजदूरी करनी पड़ रही हैं.
ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी वूशु चैंपियनशिप MDU की और से शिक्षा दो बार अगुवाई करते हुए सिल्वर मेडल जीती हैं. ऐसे में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी MDU के खेल निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह ढुल ने ब्यान देते हुए कहा है की, हमें इस बात का पहले अंदाजा नहीं था की वह इतनी तंगहाली में अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं. हम शिक्षा को किसी चीज़ की कमी नहीं होने देंगे और उसे जल्द ही आर्थिक मदद मुहैया करवाएंगे.