जब से देश में बीजेपी की सरकार आयी है तब से ही डिजिटलाइज़ेशन का काम पुरे जोरो शोरों से हो रहा हैं. व्यक्ति की पहचान हो या उससे जुड़े दरसतावेज़ मात्र एक आधार कार्ड के जरिए आप पा सकते हैं. इससे फायदा यह हुआ की जिस व्यक्ति को सरकारी लाभ जा रहा हैं, उस व्यक्ति के बारे में सरकार को पता चल जाता है की वह जिन्दा हैं और सच में उस नाम का व्यक्ति दुनिआ में मजूद हैं.
जबकि पहले ऐसे कई घोटाले सामने आए थे, जिसमें सरकार उन इंसानों को कई सालों से सरकारी लाभ दे रही थी जिनको मरे हुए भी कई साल हो चुके थे. इसके इलावा या फिर उस नाम का कोई इंसान दुनिया में मजूद ही नहीं था. ऐसे में सरकार को हर साल लाखों करोड़ों का चुना लग जाता था.
खैर लेकिन यह सरकार के लिए इतना आसान भी नहीं हैं, क्योंकि जो डाटा डिजिटल किया जा रहा हैं वह भी तो आम लोगों द्वारा किया जा रहा हैं. अब इंसान से गलती न हो ऐसा कैसे हो सकता हैं? इसीलिए डाटा डालते हुए कभी एड्रेस में गलती, कभी जन्म की तारिख में, कभी नाम में तो कभी फोटो में गलती हो जाती हैं.
शायद यही कारण हैं की दीपिका पादुकोण की तस्वीर मनरेगा नाम की सरकारी योजना में देखि जा रही हैं. यह फोटो एक नहीं बल्कि कई मनरेगा कार्ड धारकों के कार्ड पर देखने को मिली हैं. जिसपर नाम तो किसी लड़की का है लेकिन फोटो दीपिका पादुकोण की नज़र आ रही हैं. सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों को लेकर बहुत ज्यादा मज़ाक उड़ रहा हैं.
जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों का भांडा फूटा सरकार और प्रशाषन दोनों की नींद खुल गई. ऐसे में उन्होंने इसकी जांच के आदेश दे दिए. आपको बता दें की यह मामला मामला पीपर खेड़ा नाम के गांव का हैं. जिसमें मनरेगा काम करने वाले लगभग सभी लोगों के कार्ड पर बॉलीवुड सेलिब्रिटी की तस्वीरें लगा दी हैं. इससे यह तो साफ़ है की कार्ड बनाने वाले व्यक्ति ने यह जानबूझ कर किया होगा, क्योंकि गलती एक या दो कार्ड पर हो सकती हैं न की सभी.
लेकिन यह जानबूझ कर किया गया काम, क्या किसी बड़े घोटाले की और इशारा कर रहा हैं या कार्ड बनाने वाले व्यक्ति ने महज़ मजे के लिए सरकारी पैसे और मशीनरी का दरुपयोग किया हैं? भले ही सरकार कार्ड बनाने से कोई पैसे नहीं लेती लेकिन सरकार कार्ड बनाने वाले को प्रत्येक कार्ड के पैसे देती है. इसके इलावा मशीनी तंत्र पर भी सरकार के हर साल लाखों करोड़ खर्च होते हैं.