बचपन में गवा बैठी दोनों ऑंखें लेकिन हार नहीं मानी, अपने बलबूते पर बनी पहली नेत्रहीन IAS

आपने सुना ही होगा संघर्ष करने वालों की कभी हार नहीं होती! यह लाइन उस लड़की के लिए बिल्कुल सही समर्पित है! जिसने 6 साल की उम्र में अपनी आंखों की रोशनी को दी थी! उसके बावजूद हार नहीं मानी और मुश्किलों का सामना करते हुए देश की पहली नेत्रहीन आईएएस बनी! जी हां, तिरुवंतपुरम जिले के सब-कलेक्टर की जिम्मेदारी देश की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अधिकारी प्रांजल पाटिल ने संभाल ली! जानते हैं प्रांजल पार्टी के इस सफर के बारे में-

2016 में यूपीएससी के एग्जाम में पार्टी में पहली कोशिश की जिसके अंदर उन्होंने 733वी रैंक प्राप्त की! नहीं उन्होंने अगले साल 2017 में यूपीएससी का फिर से एग्जाम दिया जिसमें उन्होंने 124वी रैंक प्राप्त की! अपनी जिम्मेदारी का पद ग्रहण करने के बाद प्रांजल पार्टी ने कहा कि हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए! हम वह सब हासिल कर सकते हैं जो हमें चाहिए उसके लिए प्रयास करने की जरूरत है! उन्होंने कहा कि मैं कार्यभार संभाल कर बेहद खुश हूं और इससे खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं! आगे उन्होंने कहा कि जब एक बार मैंने कार्य शुरू कर दिया तो मुझे जिले के उप-प्रभागों के विषय मे ज्यादा जानकारी होगी और उनके लिए क्या करना है इसके बारे में भी ज्यादा अच्छी योजनाएं हो सकती है!

आपकी जानकारी के लिए बता दे प्रांजल पाटिल ने छठी कक्षा में ही अपनी आंखों की रोशनी को गवा दी थी! एक विद्यार्थी से उनकी आंखों में पेंसिल लग गई थी जिसके चलते अगले साल अपनी दूसरी आंख की रोशनी भी गवा बैठी थी! प्रांजल की दोनों आंखों की रोशनी के लिए जाने के बाद भी उन्होंने जिंदगी में कभी हार नहीं मानी! उन्होंने ब्रेल लिपि द्वारा पढाई जारी रखी! साथ ही एक ऐसे सॉफ्टवेयर से पढ़ती थी, जिससे वह आसानी से सुन सकती थी! कई बार लोगो ने उनको कहा कि जब दिखाई नहीं देता तो इतना पढ़ती क्यों हो! बता दे पाटिल दिल्ली के जेएनयू से पीएचडी है!

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