हुड्डा की नाराजगी पड़ेगी फीकी, नई पार्टी का ऐलान कोरी धमकी

Hoodas displeasure will fade new party announced blank threat: हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे दिगगज कांग्रेसी नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा हाल ही में हरियाणा विकास कांग्रेस के नाम से नई पार्टी बनाने का ऐलान कर चुके हैं… इतना ही नहीं पार्टी के गठन को लेकर कमेटी का सदस्यों का भी ऐलान कर दिया… उन्होंने कशमीर पर कांग्रेस के भटक जाने को मुख्य मुद्दों में से एक बताया…हुड्डा ने कहा ये वो कांग्रेस नहीं रही जो देश हित को सर्वोच्च मानती रही…वो देशहित के मुददे पर कोई समझौता नही करेंगे.. हुड्डा – कश्मीर मुद्दे पर पार्टी के हरियाणा प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद के विचारों से भी इत्तेफाक नहीं रखते.. इसलिए वो अपना नया रास्ता तलाश सकते हैं…

गौरतलब है कि हरियाणा में अक्टूबर विधानसभा चुनाव हैं, जिसके ठीक बाद जनवरी-फ़रवरी में महाराष्ट और दिल्ली होने वाले है…

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लेकिन मुश्किल ये है कि बात सिर्फ हुडडा तक ही सीमित नहीं मुंबई-दिल्ली कांग्रेस के भी कुछ बडे नेता अपना रास्ता देख रहे है. बस वो सेफ एक्जिट यानि पार्टी छोड़ने का मुददा तलाश रहे हैं… जाहिर है कश्मीर से बडा कोई मुददा नही मिल सकता…आशंका और डर इस बात का है कि कही कश्मीर मुद्दा, सोनिया गांधी के विदेशी मूल की तरह ऐसा मुददा न बन जाये जिस पर कांग्रेस कई खेमों में बिखर जाये…

हालांकि हुड्डा ये मानते है कि अब कांग्रेस में उनके लिए कोई भविष्य नही बचा है..लेकिन अब तक राहुल गांधी को नज़र अंदाज करने वाले हुड्डा सोनिया गांधी की बेहद इज्ज़त करते हैं उनके क़रीबी नेताओं में से एक रहे हैं..हुड्डा -सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते इगो छोड़ पार्टी को ऊपर रखने वाले स्वभाव के भी क़ायल रहे हैं…जबकि राहुल ने कई मौकों पर लकीर के फ़क़ीर बनकर फैसले लिए, जो पार्टी हित में साबित नहीं हुए…

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इन सबके इतर हुडडा ही कांग्रेस के एकमात्र ऐसे नेता है जो जाट वोटों में सेंध लगा सकते हैं…क्योंकि हरियाणा में भाजपा भी गैरजाट की राजनीति कर रही है…जाट बनाम अन्य की राजनीति में हुडडा की कोशिश है कि अलग पार्टी बनाकर भी वो अगर हरियाणा में दूसरे नंबर की पार्टी बन सकते हैं…

जिससे हरियाणा में उनकी एक अलग जगह बन जायेगी… हुड्डा के पाले में कांग्रेस के मौजूदा और पूर्व पंद्रह से बीस वरिष्ठ विधायक हैं…लेकिन हुड्डा की मुश्किल ये है कि अगर वो अलग पार्टी बना भी ले तो उनकी पार्टी को सिम्बल मिलने की उम्मीद बेहद कम है…यही वज़ह है कि ऐसा लगता है कि नई पार्टी बनाने का ऐलान हुड्डा की कोरी धमकी साबित हो सकती है…शायद हुड्डा भी पार्टी या यू कहें की सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद के ऐलान के बाद वो उन्हें थोड़ा और समय देना चाहते होंगे…

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इसका एक संकेत पिछले दिनों स्वतंत्रता दिवस मौके पर भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने पार्टी मुख्यालय पहुँच समारोह में शामिल होकर कर दिया…हुड्डा ने जरूर पार्टी के खिलाफ सख्त बयानबाजी की लेकिन हर मौके पर राहुल के करीबी रहे दीपेंद्र पार्टी लाइन को लेकर लचीले और सरल नजर आये…

लेकिन सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी के साथ भविष्य देख रहे कई बडे युवा नेता परेशान है और रास्ता तलाश रहे है… अब तक दीपेंद्र हर जगह राहुल गांधी का साथ देते रहे…

लेकिन अब राहुल के बाद उनकी पूछ जरूर कम होने जा रही है… यही हाल महाराष्ट्र से मिलिंद देवडा और मध्यप्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी हो सकता है… दोनो कश्मीर पर पार्टी लाइन के खिलाफ भी बोल चुके हैं… मुश्किल ये है कि राहुल और सोनिया भी चाहते थे कि पार्टी की ओर से देशहित में संदेश जाये कि कांग्रेस 370 को हटाने के खिलाफ नही बल्कि इसे लागू करने की प्रक्रिया के खिलाफ है लेकिन अब तो बात हाथ से निकल गयी…

फ़िलहाल जिस तरह के समीकरण बनते हुए नज़र आ रहे हैं उससे तो यही कहा जा सकता है की हुड्डा कांग्रेस पार्टी को ख़ासतौर पर सोनिया गांधी के नेतृत्व को मान-मनऊवल के लिये कुछ और समय देना चाहते हैं…क्योंकि 6 महीने से कम वक़्त में नवगठित पार्टी को चुनाव लड़ने के लिये सिंबल मिलना मुश्किल है जबकि अक्टूबर में हरियाणा में चुनाव प्रस्तावित है…ऐसे में सोनिया गांधी के साथ सामंजस्य बैठाना हुड्डा के तीर का आखरी तरकश हो सकता है…

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