संक्रांति के बाद रखें शनि प्रदोष व्रत, शनिदेव के साथ शिवजी भी होंगे प्रसन्न

हम सभी जानते हैं कि भारत मान्यताओं का देश है. इस देश में तमाम लोग अपने-अपने धर्म अनुसार तमाम मान्यताओं को मानते हैं. हम आज आपको इस लेख के जरिए हिंदू धर्म में किए जाने वाले एक ऐसे ही व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं.

हम आपको बता दें कि हम आपको जिस व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं यह पुराणों में उल्लिखित है. इस व्रत का नाम प्रदोष व्रत है और इसे भगवान शिव का आशीर्वाद मानने के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है. लेकिन हम आपको बता दें कि इस व्रत को करने वालों को भगवान शिव के साथ शनिदेव की भी अच्छी कृपा प्राप्त होती है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाले जातकों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

साल 2022 में इस व्रत का दिल पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जनवरी को रात्रि 10:19 पर शुरू हो रही है. और इसका समापन 15 जनवरी की देर रात 12:57 पर होगा. हम आपको बता दें कि 15 जनवरी की शाम 5:46 से आप रात्रि 8:28 बजे तक भगवान शनि की पूजा कर सकते हैं.

गौरतलब है कि इस व्रत के करने की विधि में शिव मंदिरों में शाम के समय प्रदोष काल में शिव मंत्र का जाप करना होता है. शनि प्रदोष के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठे और स्नान करके साफ कपड़े पहने. इसके पश्चात गंगाजल से पूजा स्थल को शुद्ध करें और बेलपत्र, अक्षत, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें. इसके बाद ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और शिव जी को जल चढ़ाएं. वही शनिदेव की आराधना के लिए सरसों के तेल का दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं. एक दिया शनिदेव के मंदिर में भी जलाएं और व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करें.

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