दिवालिया होने की कगार पर पहुंची वोडाफोन आइडिया, इसमे सबसे ज्यादा केंद्र सरकार शेयर होल्डर हैं। आपको बता दें, इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वोडाफोन में 35.8% हिस्सा अब सरकार का हैं।
सरकार की एंट्री होते ही 8765 करोड़ घटी वोडाफोन की वैल्यू
आपको बता दें, निवेशकों का भरोसा हट गया है, क्योंकि 20.5% गिर चुका कंपनी का वैल्यू । 10 जनवरी को 14.85 रु. रहा और 11 जन 11.80 रु.रही इसकी वैल्यू।
जैसा की हम जानते इस दिवालिया होने की कगार पर वोडाफोन आइडिया लिमि में अब केंद्र सरकार सबसे बड़ी शेयर होल्डर हैं। इसे देखते हुए, कंपनी के बोर्ड ने मंगलवार को यह घोषणा कि, वह बकाये के बदले 16 हजार करोड़ रु. के बदले इस साल सरकार को 35.8% हिस्सेदारी देगी।
इसको करने के लिए कंपनी ने स्पेक्ट्रम नीलामी की किस्तों और एजीआर यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू के कर्ज को इक्विटी में बदला जाएगा, जो शेयर के रूप में सरकार के पास रहेंगे। वोडाफोन ग्रुप के पास 28.5% शेयर रहेंगी। आपको बता दें, यह सुझाव कंपनी के पास डूबने से बचा सकता हैं।
आईए जानें कंपनी ने यह फैसला क्यों लिया
कंपनी पर एजीआर और स्पेक्ट्रम लाइसेंस के 58.254 करोड़ रु. बकाया हैं। इस पर 16 हजार करोड़ रु. ब्याज चढ़ चुका है। कंपनी ने नकद के बजाय इक्विटी के रूप में ब्याज चुकाने का यह रास्ता चुना हैं, इससे किसको फायदा कंपनी या सरकार को ? कंपनी को यह रास्ता मिलेगा की वह इक्विटी में देनदारी चुकाने से ऑपरेशन से आने वाली हैं।
इससे हिस्सेदारी से आदित्य बिड़ला ग्रुप के पास 17.8% हिस्सेदारी मिलेगा, जिसके कारण कंपनी के शेयर 20.5% गिरे। कंपनी की वैल्यू 8,765 करोड़ रु. घट गई। मार्केट कैप 33.9 हजार करोड़ रु. रह गई।
आपको बता दें, ऐसा कार्नर से नकदी बच सकेंगी और वह 5जी सेवाओं पर काम कर सकेंगे। जैसा की हम जानते है, सरकार को पैसा नहीं मिलने के बदले उन्हें इक्विटी के रूप में सरकार को हिस्सेदारी दिया जा रहा हैं। अगर यह कंपनी डूब जाती तो भारतीय बाजार में सिर्फ दो कंपनियां बचतीं ।