वर्ल्ड रिकॉर्ड्स संस्थाए गुमराह कर रही है? क्या लग रही हुनरबाजो के सम्मान की कीमत?

World Records organisations: वर्ल्ड रिकार्डस संस्थाए कैसे संचालित होती है यह एक सवाल उठने लगा है वैसे आपने कई नाम सुने होगे लेकिन आजकल यह वर्ल्ड रिकार्डस की संस्थाने विशेषकर भारत में अपने आप में रहस्य बना हुआ है क्योकी एक ओर कोई कह रहा आइएसओ बेस्ट तो काई ट्रस्ट,एनजीओ,भारत सरकार कारपोरेट मंत्रालय यानि एमसीए व इसके अलावा समाचार पत्र के होने वाले पंजीयन कार्यालय से होना बताया जा रहा है पर सवाल है कि एक तरफ यह गुत्थी उलझ नही रही थी तो एक संस्था जिसका नाम गोल्डन बुक आफ वल्र्ड रिकार्डस छत्तीसगढ़ के एक पत्रकार जिनका नाम पवन केसवानी है जिन्होने अपने युटयुब पर एक आडियों डाला है जिसमें कई कहा गया उस आडियां में यह साफ साफ सुनाई दे रहा है कि जिसमें इस संस्था के एशिया हेड मनीष विश्नोई जिसमें वह सबसे ज्यादा चटनी बनवाकर वल्र्ड रिकार्ड में नाम चढ़वाने के बदले 30,000 रुपए की मांग करते सुना जा सकता है हालाकि यह विडियो नवम्बर 2017 का है जिसमें उनके साथी जिन्होने यह बात कि उनका नाम पत्रकार विष्णु अग्रवाल बताया गया है इसी आडियों के आधार पर यह कहा जा रहा है जो भी रिकार्ड बनता है नाम के लिए बनता है,इसमें बाबा रामदेव जिनकी संस्था पंतजलि कों भी 45 वल्र्ड रिकार्ड स दिए है ओर यह भी कहा जा रहा अगर बाबा रामदेव भी कहे तो भी एक रुपया कम ज्यादा नही कर सकता। ओर बता रहे हमारे यहा एक रिकार्ड चार्ज 350 डालर है । फिर हम इस विडियों की पुष्टि नही करते है सही ओर गलत  क्या हैं। लेकिन यह एक पत्रकार के माध्यम से डाला गया आडियो क्लिप है

World Records organisations –

अब हमने इस संस्था को खंगालना शुरु कर दिया अब चार्ज से शुरु करते हुए इनकी वेबसाइट http://goldenbookofrecords.com को देखा तो यह बात सही नज़र आ रही है गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में रिकार्ड्स में दर्ज कराने के लिए चार्ज लगता है जब हमने प्रोसेडर्स एंड गाइडलाइंस में देखा तो इस अनुसार रिकॉर्ड का दावा करने के लिए प्रोसेसिंग चार्ज यू.एस. $ 60 प्रति व्यक्ति के रिकॉर्ड के लिए, अमेरिकी $ 150 प्रति संगठन और संस्थानों के लिए और अमेरिकी $ 200 प्रति दावा कॉर्पोरेट्स और शासकीय संस्था के लिए दावा करता है।

ऑन-द-स्पॉट / तत्काल मान्यता के लिए रिकॉर्ड मैनेजमेंट जज (आरएमजे) को आमंत्रित करने का शुल्क आपके रिकॉर्ड प्रयास के लिए प्रति दिन $ 150 अतिरिक्त है। यदि ठहराव 24 घंटे से अधिक है तो प्रतिदिन इसके अतिरिक्त 50 डॉलर का भुगतान किया जाना है। हालांकि, बड़े रिकॉर्ड के मामले में, रिकॉर्ड प्रबंधन और मान्यता शुल्क, सामूहिक रिकॉर्ड का प्रयास करने वाले प्रतिभागियों की संख्या पर निर्भर करते हैं क्योंकि रिकॉर्ड प्रयास में एक से अधिक RMJ मौजूद हो सकते हैं। द गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा निर्दिष्ट मानदंडों के अनुसार आरएमजे की यात्रा और आवास को वहन करने के लिए रिकॉर्ड अटेंडेंट / प्रयासकर्ताओं या रिकॉर्ड इवेंट के प्रायोजकों के लिए यह अनिवार्य होगा।
अब यह बात स्पष्ट कर रही है की इस संस्था में जितने भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बने उनसे चार्ज लिया गया होगा। जो दिखता है दरहसल वह होता नही है क्योंकि विश्वभर में चलने वाली वर्ल्ड रिकॉर्ड्स संस्थाओ में एक संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स बताना अमेरिका और दिखाना भारत मे यह प्रश्न भी उठ रहा है क्योकि तलाशते तलाशते गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की वेबसाइट से लेकर सोशल मीडिया को नजदीक से देखा पर ऑफिशल अकाउंट भी नही मिला, फिर फ़ेसबुक पर खुद को एशिया हेड बताने वाले मनीष विश्नोई का अकाउंट मिला जिसमे उन्होंने उसी संस्था के फोटो न्यूज़ पोस्ट कर रखी है अब यहां से जो जानकारी मिली इसमे देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बाबा रामदेव और बीजेपी नेताओं और अन्य लोगो को सर्टिफिकेट ओर बुक देते हुए दिखाई दे रहे है। उसी ओर सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर भी नज़र डाली जाए तो उसे तो यही लग रहा है जिसमे मनीष विश्नोई के हस्ताक्षर हो तो भला यह कैसे संभव जब मनीष विश्रोई को सुनते है तो कहते आगे भेजेगे ओर अभी हम प्रोविजनल सर्टिफिकेट दे रहे है तो वह सर्टिफिकेट का रहस्य क्या है,ओर विश्नोई जो बुक दे रहे उसमे एशिया एडिशन क्यो अंकित है? अगर अलग अलग एडिशन है तो दूसरे एडिशन कहा है?क्योंकि मनीष विश्नोई ही बता रहे कि यह संस्था अमेरिका की है।
अब आपको बताते नगरिय निकायों में भी शुल्क देकर ही सर्टिफिकेट ओर बुक ली होगी पर क्या वहां जिम्मेदार कुंभकर्ण की नींद सो रहे थे और यह जांच भी होना चाहिए किस आधार पर रिकॉर्ड दर्ज करने वाली संस्था फर्जी है चलती कैसे? क्योकि एक ऑडियो में देखा जा रहा है यह संस्था शुल्क भी लेती है और वेबसाइट पर भी यह मौजूद है
अब सवाल है कि जो बात निकल आई जिसमे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स नामक संस्था ने कही हुनरबाजो के साथ छलावा तो नही किया यह जांच का विषय है? इस तरह ये माना जा रहा है कि अन्य संस्थाए भी चार्ज लेकर अगर हुनरबाजो को यही सब कर रही है तो फिर यह कैसा सम्मान है यानी हुनरबाजो के सम्मान की कीमत लग रही है अब देखना ऐसे में भारत सरकार का रुख क्या होगा।

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