India has to make gold bird again: आज हम आपको बतायेगे सन 1990 के बाद का काल के बारे में! जब सोवियत संघ (UN) पूरी तरह टूट चुका था! येल्तसिन रूस में गद्दीनशीन हो चुका था! ये आलम आ गया था चारो तरफ हाहाकार मच गया था! चारो तरफ त्राहि त्राहि, दुकानों में कोई समान ढंग से मिल नही रहा था! खाने पीने से लेकर हर समान की तंगी हो रही थी!
India has to make gold bird again-
जिसका शासन था उनको समझ नहीं आ रहा था कि डेमोक्रेटिक देश को कैसे चलाया जाता है! मानो जैसे सभी मंत्रालय मेंढक बने हुए थे! लगता था किसी का आपस में कोई तालमेल नहीं! रूबल जोकि वह की करेंसी है वो दिन प्रतिदिन कमजोर हो रहा था बिलकुल आज के वेनेजुएला की तरह! जैसे हिंदी फिल्मो में दिखया जाता है ठीक उसी तरह बाजार में माफियाओ का कब्जा हो चुका था!
रूस के येल्तसिन के पकड़ से सत्ता बाहर हो चुकी थी! उसे समझ नही आ रहा था कि देश को वापस कैसे पटरी पर लाया जा सकता है! निराशा की स्तिथि में वो दिन रात मजनू की तरह दारू पीकर पड़ा रहता था! जब उसे लगा कि अब मुझसे नही हो पायेगा तो सत्ता का बागडोर उसने ब्लादिमीर पुतिन के हवाले कर दी!
जिन शीर्ण हालात में रूस की बागडोर पुतिन ने संभाली! जैसे ही पुतिन सत्ता संभालते ठीक मोदी जी की तरह एक पर एक कड़े फैसले लेते गया! पहले से ही जनता त्राहिमाम थी उस पर पुतिन के रोज नए फरमान! पूरी अर्थव्यवस्था तहस महस! उधर वर्ल्ड की सबसे बड़ी ताकत अमेरिका नाटो की मदद से रूस पर अपना शिकंजा कसते जा रहा था!
उस समय आतंकी सरगना चेचन, के आतंकवादी संघटन अलग परेशान कर रहे थे! किन्तु पुतिन उनके आगे नही झुका! उन्होंने आतंकवादियों का पूरी तरह सफाया कर दिया! एक एक को घर मे से खींच खींच कर मारा! बिलकुल आज जैसे कश्मीरियों के हालात है!
आतंकी चेचन की समस्या उसी समय सुलट गयी! लेकिन अमेरिका नाटो की मदद से यूगोस्लाविया को तोड़ने में कामयाब हो गया और यूक्रेन को भी अपने साथ मिला लिया! पाकिस्तान की तरह यूक्रेन भी और रोज नई सर दर्दी पैदा करने लगा! रूस को अर्थव्यवस्था कमजोर होने के वजह से नाटो का प्रतिकार करना मुश्किल हो रहा था लेकिन उन्हें वही पर रोकने में पुतिन कामयाब रहा यानी ज्यादा कोलेटरल डैमेज नही होने दिया!
रूस इसी बीच धीरे धीरे आंतरिक अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में लगा रहा जो धीरे धीरे शुरुवाती कड़े कदमो के उठाने के कारण, वापस पटरी पर लौटने लगी! अब आपके मन में बड़ा सवाल है कि मैं आपको रूस और पुतिन की कहानी क्यों सुना रहा हूँ? किसी भी नेता के लिए उसकी जनता सबसे बड़ी ताकत होती हैं!
इसी दौरान वहा की जनता का व्यवहार कैसा रहा ? यही तो सबसे मजेदार बात है और यही पोस्ट का सार भी है! जनता सारी मुसीबतों को झेलते हुए भी पुतिन के साथ खड़ी रही! उन्हें अपने राष्ट्रपति पर विश्वास था कि रूस वापस विश्व में अपनी खोई साख प्राप्त करेगा और अमेरिका को मनमानी करने से रोकेगा!
आपको बता दे कल का कमजोर रूस इराक में उस समय कुछ नहीं कर पाया था और आज सीरिया में घुस कर मारा! क्या कर लिया अमेरिका ने? कल नाटो यूगोस्लाविया को तोड़ने में कामयाब हो गया था आज उसके सीने पे मूंग दलते हुए क्रीमिया को अपने मे मिला लिया! क्या कर लिया नाटो ने?
कल अमेरिका ने हमे क्रायोजेनिक इंजन देने से मना कर दिया था जिसे कमजोर येल्तसिन को मानना पड़ा था आज S – 400 को उसके आंख दिखाने के बावजूद दोनो देश खरीद फरोख्त कर रहे हैं और अमेरिका हाथ मसल रहा है! ये होती हैं देश की ताकत!
आज भारत की जनता भी अपने नेता के साथ खड़ी है! भारत को भी वही अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस प्राप्त करना है! आपको पता है कल तक विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की भागीदारी 30% हुआ करती थी! आज भी हमे वापस वही स्थान प्राप्त करना है! और ये तभी संभव है जब देश का प्रधान 56″ वाला हो बिलकुल पुतिन की तरह और देश की जनता उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो! क्योंकि उसे अपने देश को दुबारा “सोने की चिड़िया” बनाना है!
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