आज़ाद भारत में पहली बार ओबीसी वर्ग के लिए खुशखबरी, होने जा रहा है ये बड़ा काम …

OBC Category population census 1st time: 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जनगणना 2021 में केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आंकड़े एकत्रित करने का फैसला लिया है. आजाद भारत में यह पहला मौका होगा जब देश में OBC वर्ग के आंकड़ों को जुटाया जाएगा.

OBC Category population census 1st time-

इससे पहले 1931 की जनगणना में आखिरी बार एकत्रित किए गए जातिगत आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई मंडल आयोग की सिफारिशों पर तत्त्कालीन V P सिंह सरकार ने OBC के लिए 27 % आरक्षण की घोषणा की थी.

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने की घोषणा


गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 2021 की जनगणना के लिए तैयारियों की समीक्षा की जिसके बाद OBC आंकड़े एकत्रित करने के फैसले का खुलासा किया गया. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘पहली बार OBC से संबंधित आंकड़े भी इकट्ठा करने का विचार किया गया है.’’ सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन की एक शाखा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) ने 2006 में देश की आबादी पर नमूना सर्वेक्षण रिपोर्ट की घोषणा की और कहा कि देश में OBC आबादी कुल आबादी की करीब 41 % है.

लंबे समय से मांग कर रहे OBC संगठन

NSSO ने ग्रामीण इलाकों में 79,306 परिवारों और शहरी इलाकों में 45,374 परिवारों की गणना की. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) 2019 के लोकसभा चुनावों में 2021 जनगणना में OBC आंकड़े एकत्रित करने के फैसले का उल्लेख कर सकती है क्योंकि कई OBC संगठन लंबे समय से इसके लिए मांग कर रहे हैं.

कई गलतियां पाई गई थी 2011 में


संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) ने 2011 में सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना कराई थी और मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने तीन जुलाई 2015 में इसके नतीजों का ऐलान किया. इसके बाद 28 जुलाई 2015 को सरकार ने कहा था कि जाति जनगणना के संबंध में कुल 8.19 करोड़ गलतियां पाई गई हैं  जिनमें से 6.73 करोड़ गलतियां सुधार दी गई. हालांकि 1.45 करोड़ गलतियों में अभी सुधार नहीं किया गया है.

पूरी होगी जनगणना 2021 में 3 सालों में


गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जनगणना 2021 3 वर्षों में पूरी हो जाएगी. शुक्रवार (31 अगस्त) की समीक्षा बैठक में गृह मंत्री ने इसके रोडमैप पर चर्चा की. इस बात पर जोर दिया गया कि डिजाइन और तकनीकी चीजों में सुधार पर जोर दिया जाए ताकि जनगणना करने के 3 साल के भीतर आंकड़ों को अंतिम रूप दे दिया जाए.

अभी तक पूरे आंकड़े जारी करने में 7 से 8 साल का समय लग जाता है. इस बड़ी कवायद के लिए 25 लाख से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है. सिंह ने सिविल पंजीकरण प्रणाली (civil registration system) खासतौर से दूरवर्ती इलाकों में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण में सुधार करने तथा आंकड़ों का आकलन करने के लिए नमूना पंजीकरण प्रणाली को मजबूत करने जैसे कि शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और प्रजनन दर पर भी जोर दिया!

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