Mukhtan Return Award West Bengal: पहली बार हिन्दुओं के लिए लौटाया किसी ने Award, बंगाल में हिन्दुओ के खिलाफ अत्याचार से दुखी होकर लौटाया Award, अवार्ड भी लौटाया और Award राशि भी!
Mukhtan Return Award West Bengal-
कभी Bus में हुए झगडे , कभी खेत में चली लाठी , कभी गाँव में मचे कोहराम के आधार पर कईयों ने सीधे Delhi को निशाने पर लिया था कुछ दिन, कुछ माह और कुछ साल पहले , फिर शुरू हुआ था Award वापसी का सिलसिला जिसमे उन्होंने निशाने पर लिया था Modi सरकार और अन्य सभी हिन्दू हिन्दू संगठनों को , जिमे अभी तक गौ रक्षकों पर परोक्ष वार किया जा रहा है!
लेकिंग वही तब खामोश हो गए थे जब West Bengal में गोरखाओं पर ताबड़तोड़ गोलियां चली और उसमे कुछ मारे गए और तमाम घायल हुए.. कईयों को घसीट घसीट कर जेलों में डाला गया .. यहाँ तक की हाथों में तिरंगा (National Flag) लिए प्रदर्शन कर रही गोरखा महिलाओं को भी नहीं छोड़ा गया और उनके साथ अभद्रता की गयी .
इस Incident पर काफी दिन से किसी न किसी की प्रतिक्रिया अपेक्षित थी पर वो खामोश रहे .. सब शायद हिन्दू संगठनों के खिलाफ प्रदर्शन कर के थक चुके थे और उन्हें लम्बे आराम की जरूरत महसूस हो रही थी .. सुबह उठ कर उन्हें गौ रक्षको (Cow guards) के खिलाफ भी हल्ला बोलना था इसलिए उन्होंने इस मामले में चुप्पी साध ली!
जब बंग्लादेशियों (Bangladeshi Citizen) को दुलारने और गोरखाओं को दुत्कारने की हद ही पार हो गयी तो पहला ऐसा अवार्ड लौटाया गया जिसका सम्बन्ध हिन्दुओं की पीड़ा से था .. यह पुरष्कार लौटाने वाले उपन्यासकार का नाम है श्री के एस मुखतन जी जिन्होंने एक गोरखा हिन्दुओं के तरफा दमन व् उनके ऊपर हो रहे मुगलों से भी बर्बर अत्याचार के विरोध में अपना Award वापस करने का एलान किया है.
सरकार द्वारा मिला Award लौटाते समय बेहद भावुक हो चुके श्री मुखतन जी ने media को बताया कि- “दार्जिलिंग की जनता गोरखालैंड बनाने की मांग कर रही है , इसमें कोई बुराई नहीं और ये उनका अधिकार है!
उन पर हो रहे अमानवीय अत्याचार के विरोध में मैं अपना ये Award लौटा रहा हूँ और खुद भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सेदारी करने जा रहा हूँ .. उन्होंने कहा कि उन्हें Award नहीं बल्कि गोरखालैंड (Gorkhaland) चाहिए और वो अब उसको हासिल कर के रहेंगे भले ही उसके लिए उन्हें कोई भी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े!
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