Jyotiraditya Scindia Respect Give Tribute Vajpayee: देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार (16 अगस्त 2018) को निधन हो गया. पूरा देश उनके इस निधन से शोक में डूबा हुआ है. हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है. उनकी लोकप्रियता पार्टी के परे थी. उनका पार्थिव शरीर पहले उनके निवास स्थान पर ले जाया गया.
Jyotiraditya Scindia Respect Give Tribute Vajpayee-
वहां पर उनके आखिरी दर्शन करने और श्रद्धांजलि देने के लिए सभी Parties के Leader पहुंचे. इसी में एक नाम है, CONG सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का. आमतौर पर Vajpayee को श्रद्धांजलि देने वालों ने उनकी पार्थिव देह पर पुष्प चक्र चढ़ाकर नमन किया. लेकिन CONG ज्योतिरादित्य सिंधिया अकेले Leader थे, जिन्होंने घुटने के बल बैठकर उनकी देह के सामने अपना सिर जमीन पर टिका दिया.
Congress leader Jyotiraditya Madhavrao Scindia pays tribute to former Prime Minister #AtalBihariVajpayee at his residence in Delhi. pic.twitter.com/NiuzHUvydd
— ANI (@ANI) August 16, 2018
अटल बिहारी वाजपेयी मूलत: UP के बटेश्वर के रहने वाले थे, लेकिन उनका जन्म Gwalier में हुआ था. वहीं उनकी पढ़ाई लिखाई हुई और बचपन बीता. CONG ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयराजे सिंधिया BJP की संस्थापक सदस्यों में से एक थीं. हालांकि उनके पिता माधव राव सिंधिया ग्वालियर से अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ चुनाव लड़े थे और जीते थे.
Gwalier और सिंधिया परिवार से वाजपेयी का गहरा नाता
अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार का नाता भले बटेश्वर से था, लेकिन उनका शुरुआती समय Gwalier में ही बीता. वहीं से उन्होंने School और Collage की पढ़ाई की. यहां तक कि Magazine का शुरुआत उन्होंने वहीं से प्रकाशित एक अखबार से की. उनके पिता ग्वालियर State में Teacher थे. उस समय इस स्टेट पर सिंधिया घराने का राज चलता था. अटल बिहारी वाजपेयी ने एक Interview में स्वीकार भी किया था कि हम तो सिंधिया घराने के नौकर हैं.
माधवराव सिंधिया ने हराया ग्वालियर से
अटल बिहारी वाजपेयी उन नेताओं में से हैं, जिन्होंने बहुत कम Election हारे हैं. वह सबसे लंबे समय तक MP रहने वाले नेताओं में से एक हैं. 1971 में वह ग्वालियर से MP चुने गए थे. हालांकि 1984 में हालात बदल गए. इस समय उनके सामने राजीव गांधी ने युवा माधवराव सिंधिया को उतार दिया. इस चुनाव में वाजपेयी की हार हुई. इसके बाद वह लखनऊ से Election लड़ने लगे. हालांकि 1991 में उन्होंने मप्र (MP) के विदिशा से भी चुनाव जीता था.
और देखें – बजरंग बली की गदा पाकिस्तानी सांसद में क्यों? क्या पाकिस्तानी भी पूजते है बजरंग बली को, जान ले !