Safeda Tree Truth Affecting Life: आज हम आपको बताएँगे चारों तरफ बेरहमी से फैले हुए सफेदे के पेड़ के बारे में! लेकिन सबसे पहले आप सब से गुजारिश है इन पेड़-पौधो का काटना बंद करे और ज्यादा से ज्यादा से पेड़ उगाये! क्योकि आज हमारी ज्यादातर बिमारी का कारण यही है! आपने देखा ही होगा पहले ज़माने के लोग कितने हट्टे गट्टे रहते थे! चलिए अब बात करते है मुद्दे कि ये चारो तरफ फैलने वाला पेड़ किस तरह से हमारी जमीन को खोखला कर रहा है?
Safeda Tree Truth Affecting Life-
नेहरू की एक गलती से आया था ये पेड़
भारत देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ये सब लोगो को पता है! परन्तु क्या आपको पता है जब देश आजाद हुआ था तो क्या हुआ था? चलिए बताते है कि हम किस गलती के बारे में बात कर रहे है!
दरअसल देश के आजाद होने पर कांग्रेस पार्टी के जवाहर लाल नेहरू ने ऑस्ट्रेलिया से सफेदा के बीज का भारी मात्रा में आयात किया! और फिर जितनी भी सरकारी जमीन थी चाहे वो रेलवे हो या आर्मी की जमीन उसके चारो तरफ बिछवा दिया था!
इसी एक गलति की वजह से आज जहाँ देखो बस सफेदा ही सफेदा दिखाई देता है! ऐसा ही कोई इंसान होगा जिसने ये पेड़ नहीं देखा होगा! तो दोस्तों ये पेड़ कहि और से नहीं बल्कि जवाहर लाल नेहरू की ही देन है! या साफ़ लफ्ज़ो में कहे तो अंग्रेज में असहाय और बेबस करके गए है! वो भी सिर्फ इन चंद मंत्रियों की वजह से!
इस पेड़ से होता है बड़ी मात्रा देश को नुक्सान
वैसे तो जहवार लाल नेहरू की इस गलती को आज पूरा देश और देशवासियों को भुगतना पद रहा है! क्योकि इस पेड़ से देश को फायदा नहीं है! ये उन पेड़ो में से अगर जहाँ लगा दे वहां से पानी का नामोनिशान मिटा दे! जी हां ये पेड़ पानी सोखने का काम करता है! आज चारो और बड़ी मात्रा में ये पेड़ है वही उतनी ही बड़ी मात्रा में पानी भी खतम होता जा रहा है!
जवाहर लाल नेहरू को पता नहीं इससे क्या लाभ मिला परन्तु हमारे किसानो और आम इंसानो के लिए आज ये एक बड़ा सिरदर्द बन गया है! जिसकी वजह से पानी का तो बेडा गरक हो गयी गया!
भारत को इस पेड़ से कोई भी फायदा नहीं है ना फाइनेंस और ना ही आयुर्वेद का! क्योकि इस पेड़ के अंदर ऐसा कुछ है ही नहीं! पहले समय यहाँ बरगद जैसे पेड़ होते थे जो बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन निकलते थे! और हम स्वस्थ रहते थे! तो बस यही रीज़न है कि हमारे चारो तरफ सफेदा के पेड़ो का जाल बना हुआ है!
अगर आर्टिकल पसंद आया हो तो कमेंट करके बताइयेगा जरूर, क्युकी ऐसी ऐसी प्राचीन काल की बाते अभी बाकि है!
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