छोटे पर्दे के मशहूर सीरियल महाभारत को कौन नहीं जानता है. 90 के दशक में दूरदर्शन पर यह सीरियल घर-घर में देखा जाता था. इस साल कोरोनावायरस लगे लॉकडाउन में भी दर्शकों की डिमांड पर दूरदर्शन पर महाभारत और रामायण दोनों सीरियल फिर से दिखाए गए थे. हम आपको बता दें कि महाभारत भीम का रोल करने वाले प्रवीण कुमार सोबती को आज भी दर्शक भूल नहीं पाए हैं. महाभारत का जब भी हम याद करते हैं तो हमारे दिमाग में गदाधारी भीम की वह तस्वीर छप जाती है जो हमने महाभारत में देखी थी. आपको बता दें कि प्रवीण ने सिर्फ एक्टिंग में ही नहीं बल्कि खेल में भी देश का नाम काफी रोशन किया है. आज 76 वर्ष की आयु में उन्हें सरकार से शिकायत है कि उन्हें पेंशन नहीं दी जा रही है.
आपको बता दें कि प्रवीण कुमार बचपन से ही काफी हष्ट पुष्ट और शरीर से बलवान थे . हम आपको बता दें कि प्रवीण ने दो बार ओलंपिक, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स आदि खेलों में कई बार देश का नाम रोशन कर चुके हैं और देश के लिए गोल्ड सिल्वर मेडल जीत चुके हैं. प्रवीण को साल 1967 में खेल के सर्वोच्च सम्मान अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. आपको बता दें कि एक उम्र में अपनी ग्लैमर और क्षमता के आधार पर लोगों के बीच में छाए रहने वाले प्रवीण आज आर्थिक तंगी का शिकार हो चुके हैं.
प्रवीण मीडिया से बात करते हुए बताया कि कोरोनावायरस रिश्तो को बेनकाब कर दिया जो अपने लगते थे वह कभी सगे नहीं थे. वह आगे बात करते हुए कहते हैं कि वह काफी समय से घर पर ही हैं और उम्र ढलने के साथ-साथ उन्हें दिक्कतें और खाने में परहेज भी करना पड़ता है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए आगे कहा कि पंजाब में आई हर सरकार से उनका शिकायत है क्योंकि उन्होंने सभी अर्जुन पुरस्कार तथा गेम जीतने वाले लोगों को पेंशन दिल सिर्फ उनके साथ ही सौतेला व्यवहार किया गया. प्रवीण कहते हैं कि उन्हें भी अब पेंशन चाहिए क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है . हालांकि प्रवीण बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट भी रह चुके हैं और उन्हें उसकी पेंशन भी मिलती है , लेकिन वह पेंशन उनके लिए पूरी नहीं पड़ती है.
आपको बता दें कि प्रवीण का एक समय चक्का फेंकने में एशियन गेम्स में रिकॉर्ड था जो कि 56.76 मीटर दूरी का था. प्रवीण साल 1972 में हुए म्युनिख शहर में हुए ओलंपिक का भी हिस्सा रहे थे जिसमें आतंकी संगठन ने 11 इजराइली खिलाड़ियों की हत्या कर दी थी.