Disable Person Win Medal Country: 32 साल की पैरा एथलीट (Pero Athlete) श्वेता शर्मा की कमर के नीचे का हिस्सा बेजान है। वह चल-फिर (Paralysis) नहीं सकतीं। उन्होंने 3 साल पहले तक कभी खेलने की कोशिश भी नहीं की थी, लेकिन अब उनके नाम नेशनल (National) और इंटरनेशनल (International) लेवल पर 14 मेडल हैं। वे अब एशियन पैरा गेम्स (Asian Pera Games) की तैयारी कर रही हैं। ये खेल 8 अक्टूबर से इंडोनेशिया के जकार्ता (Jakarta, Indonesia) में होंगे।
Disable Person Win Medal Country-
दिल्ली की श्वेता (Saweta Sherma, Delhi) की जिंदगी 2015 तक ठीक ढंग से आगे बढ़ रही थी। इसी बीच 2016 में Husband की Job छूट गई। घर का खर्च चलना मुश्किल हो गया। 2 बच्चों की मां Saweta sherma ने तब नौकरी करने की सोची। उन्हें पैरालिंपियन (Paralympic) दीपा मलिक के बारे में पता चला। वे दीपा से मिलीं और उनसे प्रेरित होकर खेलने का फैसला लिया।
अब मुश्किल यह थी कि उन्हें Stadium लेकर कौन जाए। इस कारण उन्होंने Youtube पर ही खेल के बारे में जाना। फिर 2016 से पास के Field पर Practice करने लगीं। 2017 में Shot put में Gold जीता। इसके बाद नेशनल पैरा गेम्स आैर एशियन ट्रायल (Asian Trial) में एक-एक गोल्ड और एक-एक Bronze मेडल जीत लिए।
अभी 12th की पढ़ाई कर रही हैं, ताकि बच्चों को पढ़ा सकें
Saweta Sharma कहती हैं, “खेलों में आने का कारण यह था कि इसमें ना सिर्फ Scholarship मिलती है, बल्कि इनामी राशि भी मिलती है। Government भी अलग-अलग Level पर तैयारी में मदद करती है। ” श्वेता Open Tournament में भी खेलती हैं, जिससे कैश प्राइज जीत सकें। इतना ही नहीं, वे अभी 12वीं की पढ़ाई भी कर रही हैं। कहती हैं कि बच्चों को पढ़ाने (Teach) के लिए आपको भी पढ़ा लिखा होना जरूरी है।
Accident में पैर गंवाया, रेसलर से बन गए पैरा थ्रोअर
20 साल के सुमित नवल (Sumit Naval) 3 साल पहले तक पहलवानी करते थे। State Level पर कई मेडल जीत चुके थे। पर 2015 में Accident में उनका बायां पैर खराब हो गया। सुमित की कुश्ती (Kusti) छूट गई। पर उन्होंने खेल नहीं छोड़ा। वे कहते हैं, “मेरे हाथों में ताकत थी। इसलिए मैंने पैरा गेम्स (Pera Games) में जेवलिन थ्रो करने का निर्णय लिया। प्रॉस्थैटिक पैर (prosthetic leg) की मदद से चलना सीखा। फिर 5 महीने की Practice के बाद मेडल जीत लिया। हाल ही में पैरा National में Silver मेडल जीता।” वे B.Com Program Final Year के छात्र हैं।
अाधा शरीर पैरालाइज्ड (Paralyzed), फिर भी जीत रहे मेडल
दिल्ली के नारायण ठाकुर (Narayan Thakur) बचपन से लेफ्ट साइड (Left side) से हाफ पैरालाइज्ड है। जब 13 साल के थे, तब पिता की मौत हो गई। Family की मदद के लिए कुछ काम करना चाहा, पर पैरालाइज्ड होने के कारण काम नहीं मिला। तब उन्होंने Exercise कर पहले खुद को चलने लायक बनाया। 4 साल की कड़ी मेहनत के बाद 2014 में Pera Athletics में खेलने के लिए उतरे। हाल ही में Pera National Athletics में 100 और 200 मीटर रेस जीती। अब जकार्ता गेम्स (Jakarta Games, Indonesia) की तैयारी में जुट गए हैं। नारायण की मां रीता बीड़ी सिगरेट (Bidi-Sigret Shop) की छोटी सी दुकान चलाती हैं।
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