Indian airports beside China: ये शायद पहला ऐसा मौका है जब भारत की फ़ौज इस प्रकार से रक्षात्मक मुद्रा के बजाय अपने देश के स्वभिमान और सीमओं की रक्षा (Defense Protect) के लिए उस रूप को धारण कर रही है जो रूप इस समय था बेहद जरूरी और जो रूप संसार देखने का अभ्यस्त है.
Indian airports beside China-
पहले पाकिस्तान (Pakistan) को उसकी सीमाओं पर उस से ज्यादा गोलियां बरसा कर जवाब दिया, फिर चीन (China) को डोकलाम में पीछे धकेला, उसके बाद म्यन्मार (Myanmar) में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक की. इसके साथ देश के अन्दर के संपोलों को कुचलने में भी तेजी दिखाई जिसमे बुरहान, अबू दुजाना, सब्जार, रफ़ी जैसे वो आतंकी (Terrorist) थे जिनकी मौत की प्रतीक्षा देश लम्बे समय से कर रहा था.
अब मोदी सरकार (Modi Govt.) के एक और बड़े कदम से दुनिया हतप्रभ है लेकिन भारत अपनी सामरिक नीतियों के चलते इस बड़े कदम को उठा कर चीन (China) को भी चौंका चुका है. ज्ञात हो कि चीन (China) से बढ़ते तनाव को देख कर भारतीय सेना (Indian Army) सीधे सीधे चीन की छाती तक जा पहुची है.
भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (AAI) श्रीलंका में हंबनटोटा (Hambantota) में नुकसान में चलने वाले मत्ताला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को जमानत पर देने के लिए सहमत हो गया है, यद्दपि श्रीलंका (Sri-lanka) के व्यवसायिक दृष्टिकोण से यह हवाई अड्डा घाटे में है पर चीन (China) के हंबनटोटा बंदरगाह जिसका पट्टा चीन के पास है और इसका इसका बड़ा महत्व है.. अर्थात अब चीन के बन्दरगाह (Port) के ठीक बगल भारत के विमान (Jet) होंगे जिसमे सैनिको को लाने ले जाने वाले विमानों के अलावा युद्धक विमान भी खड़े किये जा सकते हैं.
अब तक मिली जानकारी के अनुसार इस फैसले से (China) चीन के सामने ही भारत (India) की उपस्थिति दिखेगी .. दूसरा जिस श्रीलंका को मिलाने के लिए चीन (China) हर सम्भव कोशीश कर रहा है वही श्रीलंका (China) इस फैसले के बाद अब भारत से कदम से कदम मिला कर चलेगा. ताजा जानकारी के अनुसार राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (Rajapaksa International Airport) को भारत दोनों देशों के बीच एक संयुक्त उपक्रम के रुप में चलाएगा.
साझा उपक्रम में India बड़ा भागीदार होगा. यह हवाई अड्डा Capital कोलंबो से 241 Km दक्षिण-पूर्व में है. इसे 21 करोड़ डॉलर (21 crore Dollar) की लागत से बनाया गया है, लेकिन वहां से ज्यादा उड़ान नहीं होने के कारण यह घाटे में है. यह हवाई अड्डा पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे (Mahindra Rajapaksa) के नाम पर बना है.
उनके कार्यकाल के दौरान इसे चीन (China) के भारी-भरकम ब्याज (Rate) वाले कर्ज से बनाया गया था. इसका परिचालन मार्च 2013 में शुरू हुआ था. अब चीन के ही पैसे से बना हवाई अड्डा (Airport) भारत द्वारा संचालित होगा जिसमे तमाम घाटों के बाद भी सैनिक (Soldiers) दृष्टिकोण से भारत इसे चीन की छाती पर रखेगा!
और देखे – आखिर जो कहा था वो प्रधानमंत्री मोदी ने निभाया अपना वादा, आप जान ले क्या है पूरा मामला …