Supreme court fined 10 laakh media houses: jammu के अल्पसंख्यक समुदाय की 8 साल की बच्ची 10 जनवरी को Kathua के पास के गांव से अपने घर से लापता हो गई थी. लापता होने के हफ्तेभर बाद बच्ची से यौन शोषण के बाद जान से मारकर उसके शव को उसी इलाके में फेक दिया गया था.
Supreme court fined 10 laakh media houses
मीडिया ने पीड़िता नाबालिक बच्ची की पहचान कर दी उजागर
इस मामले पर Reporting करते हुए कई media घरानों ने कठुआ गैंगरेप केस की पीड़िता 8 साल की बच्ची की पहचान को गुप्त न रखते हुए उसे नेशनल स्तर पर उजागर कर दिया था.
और अब इसी संदर्भ में highcourt के संज्ञान लेने और फटकार लगाने के बाद पहचान उजागर करने वाले media घरानों को delhi high court से माफी मांगनी पड़ी है. जिसके बाद court ने प्रत्येक media घराने को Jammu and Kashmir पीड़ित मुआवजा कोष में 10-10 लाख रूपये देने का निर्देश जारी कर दिया है.
कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?
media घरानों की ओर से court में पेश वकीलों ने इस मामले में अपना तर्क रखते हुए बताया कि, “पीड़िता की पहचान जाहिर करने की गलती कानून की जानकारी नहीं होने और इस गलतफहमी के कारण हुई कि चूंकि पीड़िता की मौत हो चुकी है ऐसे में उसका नाम लिया जा सकता है.”
जानिये क्या कहता है कानून?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 228A ऐसे अपराधों में पीड़ितों की पहचान जाहिर करने से संबंधित है. IPC के तहत ऐसे मामलों में 2 साल के कारावास और जुर्माने का प्रावधान है. यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (POSCO) की धारा 23 media के लिए यौन अपराधों के पीड़ित बच्चों से संबंधित मामलों की report को लेकर नियम कायदों से संबंधित है.
12 मीडिया संस्थानों को हाईकोर्ट ने जारी किया था नोटिस
खबरों की माने तो highcourt की ओर से Jammu and Kashmir के कठुआ जिले में 8 वर्षीय बच्ची के साथ हुई बर्बरता और हत्या मामले में उसकी पहचान जाहिर करने के आरोप में 12 media घरानों को 13 april को notice जारी हुआ था.
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