चुनाव जीतने के लिए देश का सौदा? राहुल और चीन का सच आया सामने, मोदी भी रह गए हैरान …

Rahul Meet China: चुनाव जीतने के लिए देश का सौदा? राहुल और चीन का सच आया सामने, मोदी भी रह गए हैरान … China के साथ Sikkim में सीमा विवाद चल रहा है और नौबत यहाँ तक पहुंच चुकी है! कि दोनों देशों की सेनाएं तक आमने-सामने खड़ी हैं! ऐसे नाजुक वक़्त में Rahul Gandhi (Congress) का चीन के राजदूत से चोरी-छिपे मिलने का रहस्य गहराता जा रहा है! Media में अब जो बातें सामने आ रही हैं, उनपर तो यकीन करना तक मुश्किल होता जा रहा है!

Rahul remember statement Kumaraswamy

Rahul Meet China-

Election जीतने के लिए देश का सौदा ?

दरअसल media report के मुताबिक़ संदेह जताया जा रहा है कि राहुल की ये मुलाक़ात कहीं 2019 के लोकसभा चुनाव के सिलसिले में तो नहीं थी! दरअसल केंद्र में Modi सरकार आने के बाद से सबसे ज्यादा परेशान Congress ही है! जो हर चुनाव हारती चली जा रही है! वहीँ PM Modi की मेक इन इंडिया पॉलिसी से China सबसे ज्यादा परेशान है क्योंकि इसके दमपर भारत दुनिया भर में China का विकल्प बनकर उभर रहा है!

कई बड़ी Multi National Company ने तो चीन की जगह भारत में अपना प्रोडक्शन यूनिट बनाने का फैसला किया है! वहीँ PM Modi के न्रेतत्व में भारत की आसियान देशों और अमेरिका, इजराइल से बढ़ती नजदीकी भी चीन को हजम नहीं हो रही है! ऐसे में दिल्ली के सियासी गलियारों में ये चर्चा गर्म है कि Rahul Gandhi की चीनी राजदूत से मुलाक़ात अगले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर ही हुई है!

Rahul remember statement Kumaraswamy

ऐसा मानने के पीछे मुख्य वजह ये भी है कि Rahul Gandhi ने मुलाकात से पहले विदेश मंत्रालय को औपचारिक जानकारी तक नहीं दी! जबकि ऐसा करना जरूरी होता है क्योंकि Rahul Gandhi विपक्ष के नेता भी नहीं हैं! देश की राजनीति में उनकी हैसियत केवल एक साधारण सांसद की है!

Congress party के एक नेता ने मीडिया से निजी बातचीत के दौरान इस बात की पुष्टि भी की है! कि Rahul Gandhi की चीनी राजदूत से मुलाक़ात किसी औपचारिक या आधिकारिक कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था! इसी के चलते दूतावास की ओर से जारी की गयी जानकारी में इस मुलाकात का कारण ही नहीं बताया गया! दूतावास की Website ने इस मुलाकात की जानकारी पोस्ट कर दी, तब जाकर इसकी पोल खुली!

पहले चोरी, फिर सीनाजोरी

देश के साथ इतने बड़े विश्वासघात की पोल खुलते देख हड़बड़ी और घबराहट में पहले तो Congress ने इस खबर को ही नकार दिया! लेकिन जब लगा कि अब तो पोल खुल चुकी है तो 9 घंटे बाद party ने मुलाकात होने की बात मानी! लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सीनाजोरी पर उतर आयी! Rahul Gandhi ने मुलाक़ात की बात को घुमाते हुए कहा कि वो PM Modi की तरह चीनी राष्ट्रपति के साथ झूला नहीं झूल रहे थे!

cm siddaramaiah dozing off rally

मतलब पहले तो चोरी-छिपे मुलाक़ात की और फिर सफ़ेद झूठ बोला! उसके बाद जब चोरी पकड़ी गयी तब दबाव पड़ने पर चोरी कबूलना और बौखला कर जवाब देना, ये जाहिर करता है कि कुछ तो गड़बड़ है! इससे पहले Rahul Gandhi के दफ्तर ने चीन दूतावास में फोन करके उस website link को भी हटवा दिया था, जिसमे मुलाक़ात के बारे में कहा गया था!

PM Modi की छवि धूमिल करने की साजिश ?

बताया जा रहा है कि देश की राजनीति में लगतार जमीन खोती जा रही congress ने कुछ ही दिन पहले Modi सरकार के कामकाज पर एक आंतरिक समीक्षा करवाई थी! इसमें ये बात सामने आयी कि BJP को लगातार मिल रही जीत का सबसे बड़ा कारण जनता के बीच PM नरेंद्र मोदी की छवि है! जनता उन्हें मजबूत और कड़े फैसले लेने वाले भरोसेमंद नेता के तौर पर देखती है और उनपर विशवास करती है!

इस Report पर हुई समीक्षा में तय किया गया! कि अगले Lok Sabha चुनाव तक सारा फोकस मोदी के ‘मजबूत नेता’ वाली छवि को बिगाड़ने पर होगा! इसी के चलते PM Modi के इजराइल दौरे के दौरान Rahul Gandhi ने बयान दिया कि ‘मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump से मुलाकात में वीज़ा का मसला नहीं उठाया!’ आमतौर पर जब देश के प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर होते हैं तो विपक्ष के नेता ऐसे बयान देने से बचते हैं! लेकिन Modi को एक कमजोर PM के रूप में दिखाने के लिए ऐसा दकियानूसी बयान दिया गया!

China की मदद मांगने गए थे ?

Rahul की मुलाक़ात के पीछे सवाल ये भी है कि सभी जानते हैं कि राहुल को इंटरनेशनल डिप्लोमेसी की कोई समझ तो है नहीं! तो फिर वो आखिर वहां करने क्या गए थे? कहीं ऐसा तो नहीं कि china से मदद मांगी गई है कि वो देश के किसी छोटे हिस्से पर हमला करके कब्जा कर ले! ताकि congress सड़क से लेकर संसद तक मोदी को आसानी से कमजोर प्रधानमंत्री साबित कर सके!

rahul gandhi tweet sai baba

वैसे बता दें कि इससे पहले एक और बेशर्म कोंग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर, मोदी सरकार को हारने के लिए ऐसी ही मदद Pakistan से भी मांग चुका है! भारत में चीन का दूतावास शुरू से ही ऐसी ही भूमिका में रहा है! 1949 और 1962 में Communist party CPI की मदद से चीन ऐसी कोशिश कर भी चुका है! ऐसे में यदि मोदी सरकार अगला चुनाव हार जाती है तो इसमें सारा फायदा CONG के साथ CHINA का भी होगा! विस्तारवाद के साथ-साथ मेक इन इंडिया के कमजोर पड़ने से CHINA की चांदी ही चांदी हो जायेगी और CONG को सत्ता में आकर अरबों के घोटाले करने का एक और मौक़ा मिल जाएगा!

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