शोले फिल्म की मौसी की शादी हो गई थी महज इतनी छोटी उम्र में, पहली फिल्म के लिए मिले थे ₹500, जानिये क्यों बनती थी मौसी, चची, माँ

फिल्म शोले तो आप सभी को याद ही होगी यह फिल्म साल 1975 में आई थी और उसके बाद इस फिल्म ने जो चमत्कार करके दिखाया वह अभी तक जारी है लोग आज भी इस फिल्म को देखना काफी ज्यादा पसंद करते हैं वहीं दूसरी ओर इस फिल्म के सभी किरदार आज भी लोगों को मनमोहित कर लेते हैं! चाहे फिर वह इस फिल्म के अंदर गब्बर का रोल हो या सांबा का या उस मौसी का जो की बसंती की मौसी बनी थी हर किसी के किरदार ने एक अलग ही छाप लोगों के दिलों में छोड़ी है!

लेकिन आज हम बात कर रहे हैं शोले फिल्म की मौसी के किरदार के बारे में जो की अभिनेत्री लीला मिश्रा ने फिल्म आया था लीला मिश्रा अचानक ही फिल्मों में आई थी और फिल्मी दुनिया में उनकी के आने का किस्सा बेहद ही ज्यादा दिलचस्प रहा है! वहीं इस फिल्म में मौसी का किरदार निभाने वाली लीला मिश्रा को हर किसी ने पसंद किया था! आज भी लोगों के दिलों में ऐसा का ऐसा बसा हुआ है वही अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री लीला मिश्रा का जन्म उत्तर प्रदेश के एक गांव के जमीदार के घर में हुआ था हालांकि उनको शिक्षा नहीं मिल सकी थी क्योंकि उनके घर में लड़कियों को पढ़ने की बिल्कुल भी इजाजत नहीं थी! लेकिन क्या आपको मालूम है शोले फिल्म की मौसी उर्फ लीला मिश्रा का बेहद ही छोटी उम्र में विवाह हो गया था!

दरअसल जब लीला महज 12 वर्ष की आयु की थी तब उनका विवाह बनारस के रहने वाले राम प्रसाद मिश्रा के साथ कर दिया गया था वही शादी के कुछ सालों के अंदर ही वह मां भी बन चुकी थी और अपनी जिंदगी में 17 साल पूरे होने तक लीला मिश्रा के दो बच्चे थे उनकी दो बेटियां थी! यहां को बता दे की लीला की शादी राम प्रसाद मिश्रा से हुई थी जो कि एक जमीदार परिवार से थे! वैसे तो रामप्रसाद का स्वभाव बेहद ही खुले विचारों वाला था वह किसी भी चीज को लेकर कभी भी दबाव नहीं बनाया करते थे वही लीला को भी उन्होंने अपने फैसले खुद लेने की आजादी दी हुई थी!

वही बता दे कि लीला के पति अक्सर ही मुंबई आया जाया करते थे और वहां कश्मीरी नाटकों में काम किया करते थे वहीं मुंबई में ही रामप्रसाद के 1 दोस्त रहते थे जो कि दादा साहब फाल्के की फिल्म कंपनी में काम किया करते थे और जिस दिन वह राम प्रसाद के घर पर आ गए तो उन्होंने वहां पर लीला को देखा और उनकी खूबसूरती और भोली सी सूरत को देखकर उन्होंने अपने दोस्त रामप्रसाद को लीला को फिल्मों में काम करने को लेकर सलाह दी थी! हालांकि पहले तो रामप्रसाद ने इस बात के लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया था लेकिन फिर मामा के समझाने के बाद वह मान भी गए थे और उसके बाद राम प्रसाद एवं लीला दोनों ही मुंबई के लिए रवाना भी हो गए थे!

ऐसे में लीला ने मुंबई पहुंचने के बाद अपनी अदाकारी शुरू की और फिल्मों में काम मांगने के लिए आगे आए तो वही इन दोनों की पहली फिल्म साल 1936 में एक साथ आई थी जिसका नाम सती सुलोचना था वहीं इस फिल्म में राम प्रसाद ने तो रावण का किरदार निभाया था और लीला ने मंदोदरी का रोल अदा किया था और इस फिल्म के लिए लीला को महज ₹500 ही मिले थे! बता दे की लीला मिश्रा बेहद खूबसूरत अभिनेत्री थी लेकिन उन्होंने कभी भी लीड अभिनेत्री के रूप में कोई भी रोल नहीं निभाया है ऐसा नहीं था कि उन्हें लीड रोल ऑफर नहीं की गई बल्कि उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया था इसके पीछे की वजह कहीं जाती है कि दिला मिश्रा को पराये मर्दों का छूना बिल्कुल भी पसंद नहीं था! और यही वजह थी कि लीला मिश्रा हमेशा ही फिल्मों के अंदर मौसी नानी मां चाची वाले किरदार में ही नजर आती रही!

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