जिद्दी BS येदियुरप्पा जाते-जाते कल की राजनीति पारी खेल गए ..

Yeddyurappa stays politics: कर्नाटक के निवर्तमान मुख्यमंत्री BS येदियुरप्पा राजनीति के जिद्दी खिलाड़ी हैं। विधानसभा में बहुमत साबित कर पाने की संभावना धूमिल होते देख उन्होंने आने वाले कल की राजनीतिक पारी खेल ली। उन्होंने सदन में बहुमत का सामना करने की बजाय शहीद होने की रणनीति अपनाई। अपना इस्तीफा देने से पहले उन्होंने कर्नाटक के किसानों का दर्द और जल संकट समेत कई मुद्दे उठाए। अपनी बात रखी और लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पूरी पारी खेलकर सदन से बाहर चले गए.

Yeddyurappa stays politics

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क्यों भाजपा ने किया सरकार बनाने का दावा

राजनीति को लेकर जनता की स्मरण शक्ति बड़ी छोटी होती है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की टीम इसे बखूबी समझती है। कर्नाटक में लगातार सक्रिय प्रकाश जावड़ेकर जैसे रणनीतिकार और मुरलीधर राव जैसे तेज तर्रार नेता को भी पता था कि भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। 104 विधायकों के जीतकर आने के बाद सरकार बनाने का दावा करना इतना आसान नहीं होगा।

वह भी तब जब निर्दलीय विधायकों की संख्या केवल दो है और वे भी भाजपा के साथ सही समीकरण नहीं रखते। उच्चतम न्यायालय द्वारा 19 तारीख को 4.00 बजे तक बहुमत साबित करने का समय निर्धारित करने के बाद यह रास्ता और भी कठिन था.

कांग्रेस और अदालत

अमित शाह और येदियुरप्पा की रणनीति पर कांग्रेस के वकीलों की फौज ने पानी फेर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी की जोड़ी ने अदालत में एक के बाद एक याचिका दायर करने के लिए कड़ी मेहनत की। उधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले गुलाम नबी आजाद ने मोर्चा संभाला। कांग्रेस के नेताओं ने जद (एस) के एचडी कुमार स्वामी को केन्द्र में रखकर आक्रामक रणनीति अपनाई।

सिद्धारमैया का सहयोग और मल्लिकार्जन खड़गे, डी शिवकुमार के जरिए कांग्रेस ने अपने विधायकों को बांधे रखा। इसमें कांग्रेस के नेता राजीव गौड़ा के सुझाव भी कारगर रहे और अंत तक कांग्रेस तथा जद (एस) की एकजुटता मे भाजपा की रणनीति को नाकाम कर दिया।

भाजपा को क्या मिला?

भाजपा ने कुछ नहीं खोया है। राजनीति के विश्लेषकों की माने तो भाजपा को काफी कुछ मिला है। येदियुरप्पा भाजपा के शहीद मुख्यमंत्री हुए हैं। भाजपा ने येदियुरप्पा के बहाने आक्रामक और कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने की राजनीति को आगे बढ़ाया है। पहली बार (12 नवंबर 2007 – 19 नवंबर 2007) येदियुरप्पा जब सीएम बने थे तब उन्हें कुछ ही दिन बाद फ्लोर टेस्ट में फेल होने की स्थिति के कारण हटना पड़ा था। इसके बाद वह कर्नाटक में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाने में सफल रहे थे.

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CM पद से इस्तीफा देने के बाद

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यह पार्टी के ईश्वरप्पा, गली जनार्दन रेड्डी, सदानंद गौड़ा, श्रीरामुलु समेत सभी के लिए संदेश भी है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद माना जा रहा है कि बूढ़े येदियुरप्पा का कद बढ़ा है। समझा जा रहा है कि येदियुरप्पा अब कर्नाटक राज्य की ही खुलकर राजनीति करेंगे। वह भाजपा के लिए 2019 का ग्राफ तैयार करने में काफी मददगार साबित होंगे.

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