जैसा कि आपको मालूम है कि ट्रैक्टर खेतों में काफी काम आता है और आपने ट्रैक्टर को देखा ही होगा वही उसके पिछले दो बड़े भैया लगे होते हैं और आगे दो पहिए छोटे होते हैं क्योंकि पिछले पहियों से पावर और अगले पहियों से दिशा ट्रैक्टर को दी जाती है यह तो हर किसी को मालूम है परंतु एक सवाल और भी खड़ा होता है कि ट्रैक्टर का साइलेंसर आगे की तरफ क्यों लगाया जाता है और जब की कार की तरह पीछे या फिर ट्रक की तरह साइड में क्यों नहीं लगता तो आइए समझते हैं इसको-
वैसे तो ट्रैक्टर कोई शाही सवारी तो नहीं है लेकिन इसका प्रयोग खेतों के कार्यों में काफी किया जाता है अतः बहुत आवश्यक है कि इसका लागत मूल्य कम से कम ही रखा जाए ऐसे में जब इंजन आगे के हिस्से में है तो गैर जरूरी पाइपिंग जोड़ते हुए साइलेंसर को घुमा कर कारों की तरह पीछे तक ले जाने में अनावश्यक खर्च से बचाया गया है साथ ही रखरखाव और मरम्मत की दृष्टि से भी यह काफी लाभदायक है अब इसकी मरम्मत के लिए ना तो नीचे की आवश्यकता होती है और ना ही इस को लिफ्ट करने की आवश्यकता पड़ती है!
वही ट्रैक्टर के पीछे की तरफ एक ट्रॉली को जोड़ दिया जाता है जिसके अंदर अनाज फल सब्जियों के अलावा कभी-कभी अभी सफर कर लेते हैं सोचिए कि यदि इंजन से निकलने वाली जहरीली गैस पीछे की तरफ निकलती तो फल सब्जी और अनाज दूषित होने के खतरे ज्यादा हो जाते हैं और साथ ही जो लोग सवारी करते हैं उनको सांस लेने में भी काफी दिक्कत होती है वहीं कृषि संबंधी बहुत से कार्यों में भी पीछे की तरफ लगा वह साइलेंसर उपयुक्त नहीं हैं जैसे कि खेत की जुताई फसल की कटाई आदि वही साइलेंसर पीछे होता तो फसल कटते कटते ही हो जाती!