Rahul Gandhi not let six leaders become Prime Ministers: राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करते ही ये बात सामने आ गई कि उनकी अन्य गैर BJP दलों में कितनी स्वीकार्यता है। कांग्रेस को इस बारे में कुछ निराशा ही हाथ लगी है। PM नरेंद्र मोदी ने तो कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के प्रचार में राहुल की इच्छा का मजाक बनाया ही, साथ ही अन्य नेताओं ने भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। कांग्रेसी खेमे में ये बात चिंता का सबब बन गई है.
Rahul Gandhi not let six leaders become Prime Ministers
1- अखिलेश यादव:
अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से UP विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जो गठबंधन किया था, उसके परिणाम सकारात्मक नहीं रहे। अब पार्टी राहुल को गठबंधन में साथ नहीं रखना चाहती। स्वाभाविक है कि 2019 के चुनावों के बाद अगर राहुल PM पद पर दावा करेंगे तो अखिलेश और मुलायम सिंह यादव उनका समर्थन सहज ही नहीं करेंगे। अखिलेश कह भी चुके हैं कि PM कौन बनेगा, इसका फैसला चुनावों के बाद ही होगा.
2- मायावती:
BSP नेता मायावती की बहुत सालों से इच्छा रही कि वे देश की पहली दलित महिला PM बनें। पहली बार वो विपक्षी गठबंधन में खुलकर सक्रिय हो रही हैं, इसलिए PM बनने का मौका मिला तो वो इसे राहुल के हाथों गंवाना कतई पसंद नहीं करेंगी.
3- ममता बनर्जी:
ममता बनर्जी ने कांग्रेस विरोध से ही राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई थी और तभी वो पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों की प्रतीक बन सकीं। उनके लिए राहुल को PM स्वीकार करने का मतलब फिर से कांग्रेस की पिछलग्गू बनना होगा। इसका उन्हें राज्य में नुकसान भी हो सकता है। वैसे भी उन्हें लगता है कि सांसदों का संख्या बल उनके पक्ष में है तो वो खुद ही PM क्यों न बनें.
4- के चंद्रशेखर राव:
तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष और तेलंगाना के CM के चंद्रशेखर राव तो फेडरल फ्रंट बनाने के लिए तमाम गैर कांग्रेसी और गैर BJP नेताओं से मिलते घूम रहे हैं। उनकी पहली कोशिश ही कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन से बाहर रखने की है। वो खुद चाहे भले ही PM पद पर दावा न करें, लेकिन कांग्रेस के खिलाफ वो वीटो का इस्तेमाल जरूर करेंगे.
5- शरद यादव:
विपक्षी दलों के महागठबंधन के लिए लंबे समय से प्रयासरत शरद यादव अपनी नई पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल बनाने का ऐलान कर चुके हैं। उनकी पार्टी का ज्यादा जनाधार भले ही न हों, लेकिन विपक्षी एकता के सूत्रधार के रूप में उनकी अहमियत बहुत ज्यादा है। किसी अन्य नेता पर सहमति न बनते देख, वो खुद भी PM बनना चाहेंगे। लंबे समय से उनकी ये इच्छा भी रही है। वो भी ऐन वक्त पर राहुल का विरोध कर सकते हैं.
6- शरद पवार:
NCP नेता शरद पवार वैसे तो कांग्रेस का समर्थन करते हैं, लेकिन जब PM बनने की बात आती है तो उनकी महत्वाकांक्षा जोर मारने लगती है। राहुल के बयान पर भी उन्होंने जो प्रतिक्रिया दी है, वह भी इसी तरह का है। शरद पवार ने कहा है कि तुअर की दाल का हर दाना दूसरे से खुद को भारी समझता है, लेकिन भारी है कौन, इसका फैसला बाजार की कीमत से तय होता है.
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