“Muslim Nikah is an agreement and it is not a sacrament like Hindu marriage.” : Karnataka High Court – Nithalla Gyan Media https://nithalla.com Bollywood News Thu, 29 Sep 2022 13:28:41 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.4 “मुस्लिम निकाह एक एग्रीमेंट है और यह हिंदू विवाह की तरह संस्कार नहीं है।” : कर्नाटक उच्च न्यायालय https://nithalla.com/4241/muslim-nikah-is-an-agreement-and-it-is-not-a-sacrament-like-hindu-marriage-karnataka-high-court/ https://nithalla.com/4241/muslim-nikah-is-an-agreement-and-it-is-not-a-sacrament-like-hindu-marriage-karnataka-high-court/#respond Thu, 29 Sep 2022 13:28:41 +0000 https://nithalla.com/?p=4241 कर्नाटक के हाई कोर्ट का कहना है कि मुस्लिम निकाह एक एग्रीमेंट है जिसके कई मतलब है वह हिंदू युवा की तरह कोई संस्कार नहीं और इसके टूटने से पैदा होने वाले कुछ अधिकारों और जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटा जा सकता है! यह मामला बेंगलुरु के भुवनेश्वरी नगर में एजाजुर रहमान की एक याचिका के संबंधित है जिसमें 12 अगस्त 2021 को बेंगलुरु में एक पारिवारिक अदालत के प्रथम अतिरिक्त प्रिंसिपल न्यायाधीश का आदेश रद्द करने की गुजारिश की थी!

दरअसल उसने अपनी पत्नी सायरा बानो को 5000 की मेहर के साथ विवाह करने के कुछ महीनों बाद ही तलाक शब्द कहकर 25 नवंबर 1991 को तलाक दे दिया था तो वहीं इस तलाक के बाद रहमान ने दूसरी भी शादी कर ले जिससे वह एक बच्चे का पिता भी बन गया वहीं सायरा बानो ने उसके बाद गुजारा भत्ता लेने के लिए 24 अगस्त दो में एक दीवानी मुकदमा दाखिल किया था वही पारिवारिक अदालत ने हुक्म दिया था कि वादी वाद की तारीख से अपनी मौ त तक या अपनी दूसरी शादी होने तक या प्रतिवादी की मौ त तक ₹3000 के हिसाब से महीना गुजारा भत्ते की हकदार है!

वही न्यायधीश एस दीक्षित ने ₹25000 के जुर्माने के साथ अर्जी खारिज करते हुए 7 अक्टूबर को आदेश में कहा था कि निकाह एक एग्रीमेंट है जिसके कई मतलब है यह हिंदू युवा की तरह एक संस्कार नहीं है यह बात हकीकत है! वही न्यायाधीश ने विस्तार से कहा कि मुस्लिम निकाह कोई संस्कार नहीं है और यह इसके खत्म होने के बाद पैदा हुई कुछ जिम्मेदारियों और अधिकारों से भाग नहीं सकता!

वही आगे कहा गया कि तलाक के जरिए शादी का बंधन टूट जाने के बाद भी दरअसल पक्षकारों की सभी जिम्मेदारियों और कर्तव्य को पूरी तरीके से खत्म नहीं हो जाती है उसने कहा कि मुसलमानों में एक एग्रीमेंट के साथ निकाह होता है और यह वह स्थिति प्राप्त कर लेता है जो आमतौर पर अन्य समुदाय में होती है अदालत का कहना है कि यही स्थिति कुछ न्यायोचित दायित्वों को जन्म देती है वह अनुभव से पैदा हुए दायित्व है!

इतना ही नहीं बल्कि अदालत का कहना था कि कानून के तहत नई जिम्मेदारियां भी पैदा हो सकती हैं उनमें से एक जिम्मेदारी शख्स का अपनी पहली पत्नी को गुजारा भत्ता देने का कर्तव्य है जो तलाक की वजह से अपना भरण-पोषण करने सहज नहीं है!

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