हालांकि इन सबके बावजूद एक सर्वे सामने आया है जिसने पूरी विपक्ष की नींद उड़ा दी है! इस सर्वे में देखा जाए तो सत्ता पक्ष के लिए बड़ी राहत वाली खबर है क्योंकि प्रदेश के अंदर एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ की सरकार ही बन रही है! इतना ही नहीं बल्कि इस बार खुशखबरी डबल हो जाती हैं तब जब साल 2017 के मुकाबले 2022 में वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी भी हो सकती है!
जानकारी के लिए बता दें कि एबीपी न्यूज़ C वोटर के द्वारा यह सर्वे किया गया है! ऐसे में इसके अनुसार उत्तर प्रदेश के अंदर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस सहित कोई भी विपक्षी दल बीजेपी के आसपास नजर ही नहीं आ रहा है! उत्तर प्रदेश के अंदर मौजूदा सरकार लोगों के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प बनी हुई है!
इस सर्वे के अनुसार राज्य के अंदर आने वाले विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी को लगभग 41.5% वोट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है! वहीं अगर साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की वोट प्रतिशत की बात की जाए तो वह 41.4 प्रतिशत था! जो कि इस बार बढ़ता दिख रहा है!
सामने आई सर्वे के अनुसार समाजवादी पार्टी का वोट शेयर भी पहले के मुकाबले बढ़ रहा है! साल 2017 में 23.6 प्रतिशत समाजवादी पार्टी को वोट हासिल हुए थे जो कि इस बार 8.8% बढ़कर 32.4 प्रतिशत होने की उम्मीद जताई जा रही है! वहीं दूसरी ओर मायावती के संवर्धन समाज पार्टी का वोट प्रतिशत पहले की तुलना में इस बार कम होने की संभावना है! जोकि 2017 में 22.2 प्रतिशत से 7.5 प्रतिशत गिरकर 2022 में 14.7 प्रतिशत होने की संभावना है!
साथ ही अब देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस जो कि साल 1989 से ही प्रदेश के अंदर सत्ता में नहीं आई है उसकी वोट प्रतिशत में भी गिरावट देखी जा रही है! साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 5.6 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है, पार्टी ने 2017 में 6.3 प्रतिशत वोट हासिल किए थे!
]]>ऐसे में अब गुजरात के अंदर चुनाव हुए दरअसल गुजरात के गांधीनगर में 3 अक्टूबर को महानगर पालिका के चुनाव हुए हैं अब ऐसे में इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी के साथ-साथ आम आदमी भी जोर लगा रही थी! लेकिन अब जो खबर सामने आ रही है सभी पार्टियों का जोर लगाना बेकार होता दिख रहा है सिवाय भारतीय जनता पार्टी के!
दरअसल सोशल मीडिया से जानकारी मिल रही है कि गांधीनगर महानगर पालिका में भारतीय जनता पार्टी सबसे आगे चल रहे हैं और वही कांग्रेस पार्टी दूसरे नंबर पर! मिल रही जानकारी के अनुसार गांधीनगर महानगरपालिका में 44 में से 30 सीटों की वोटिंग हो चुकी है और इनमें सबसे अधिक बीजेपी 27 सीट पर राज कर रही है और कांग्रेस पार्टी महज 3 सीट पर सिमट की भी नजर आ रही है वहीं अगर आम आदमी पार्टी और अन्य पार्टियों की बात करें तो उनका खाता भी खुलता नजर नहीं आ रहा है!
]]>पिछले कुछ महीनों के अंदर ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी को छोड़ दिया है ऐसे में नेतृत्व की कमी से जूझ रही कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक गंभीर स्थिति पैदा हो गई है! तो आइए जानते हैं कुछ नेताओं के बारे में जिन्होंने पार्टी को छोड़ दिया है!
गयादिन अनुरागी – प्रदेश उपाध्यक्ष – हमीरपुर
गयादीन अनुरागी पार्टी के उपाध्यक्ष थे। बुंदेलखंड में उनकी अच्छी पैठ है। वह हमीरपुर से कांग्रेस विधायक रह चुके हैं। अनुरागी ने पार्टी छोड़ दी है.
विनोद चतुर्वेदी – पूर्व विधायक – जालौन
बुंदेलखंड से एक और मजबूत कांग्रेसी ने पार्टी छोड़ दी है. विनोद चतुर्वेदी सपा में शामिल हो गए हैं। वह कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। उनका कांग्रेस पार्टी से पुराना नाता है।
जितिन प्रसाद – पूर्व केंद्रीय मंत्री – शाहजहांपुर
जितिन प्रसाद को कांग्रेस की राजनीति विरासत में मिली थी। उनके पिता जितेंद्र प्रसाद एक पुराने कांग्रेसी थे। जितिन खुद केंद्र में मंत्री रह चुके हैं लेकिन, उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। बीजेपी ने उन्हें मंत्री बनाया है. शाहजहांपुर और लखीमपुर में जितिन की राजनीतिक पैठ अच्छी मानी जाती है.
ललितेश त्रिपाठी – प्रदेश उपाध्यक्ष – मिर्जापुर
जितिन की तरह ललितेश को भी कांग्रेस की राजनीति विरासत में मिली। ललितेश यूपी के सीएम रहे कमलापति त्रिपाठी के परपोते हैं। वह पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रियंका गांधी के बेहद करीबी भी थे। फिलहाल उन्होंने किसी पार्टी में जाने के लिए अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
अन्नू टंडन – उन्नाव
उन्नाव से कांग्रेस सांसद रहे अन्नू टंडन ने पिछले साल पार्टी छोड़ दी थी। वह 15 साल तक पार्टी से जुड़ी रहीं। फिलहाल सपा में हैं।
राजकिशोर सिंह – बस्ती
2019 में कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले बस्ती के नेता राजकिशोर सिंह ने भी पिछले साल कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। वे बसपा में गए हैं। बसपा उनकी पुरानी पार्टी रही है। 2002 में, राजकिशोर बस्ती की हरैया सीट से विधायक बने और बसपा सरकार में मंत्री भी रहे।
शैलेंद्र सिंह – एआईसीसी
बलिया के शैलेंद्र सिंह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य थे। कांग्रेस पार्टी का भी उनसे पुराना नाता था, लेकिन उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर उपेक्षा का आरोप लगाकर हाथ भी छोड़ दिया.
राजेश सिंह – एआईसीसी
बलिया के राजेश सिंह छात्र जीवन से कांग्रेसी थे, लेकिन अब उन्होंने पार्टी छोड़ दी है। वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य थे। एनएसयूआई और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कई पदों पर रह चुके राजेश सिंह ने पार्टी नेतृत्व पर उपेक्षा का आरोप लगाया था।
अदिति सिंह – रायबरेली
अदिति सिंह रायबरेली से विधायक हैं। तकनीकी रूप से वह कांग्रेस में हैं लेकिन। व्यावहारिक रूप से पार्टी से कोई जुड़ाव नहीं है। अदिति लंबे समय से भाजपा के करीब और कांग्रेस से दूर हैं।
इमरान मसूद – राष्ट्रीय सचिव, सहारनपुर
पश्चिमी यूपी के इस बड़े नेता को लेकर चर्चा शुरू हो गई है, वह जल्द ही पार्टी छोड़ देंगे. मसूद अभी भी पार्टी में हैं लेकिन, ये बवाल तब शुरू हुआ जब उन्होंने एसपी की तारीफ की. कुछ दिनों बाद उनके कांग्रेस पार्टी से अलग होने की खबर मिल सकती है।
]]>लेकिन इस खबर सामने आ रही है कि उत्तर प्रदेश के अंदर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले आवेदकों को आवेदन के साथ ₹11000 का भुगतान करना पड़ेगा! यह कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी है जो 11000 टिकट बांट रही है! इस बात की जानकारी उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने दी है उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने वाले आवेदकों को आवेदन के साथ ₹11000 का 25 सितंबर तक जमा कराना होगा!
उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने वाले आवेदकों को आवेदन के साथ 11,000 का शुल्क 25, सितंबर तक जमा कराना होगा। pic.twitter.com/tkDsLURxn4
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 15, 2021
जिसके बाद कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से सोशल मीडिया पर सुर्खियों में आ गई है लोगों का कहना है कि जीतना तो है नहीं लेकिन इसी बहाने कुछ कलेक्शन को इकट्ठा हो जाएगा! वहीं प्रवीण कुमार सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने वसूली का नया तरीका अपना लिया है क्योंकि मालूम है कि इनको तो विपक्ष में ही रहना है ऐसे में घोटाले तो कर नहीं पाएंगे तो चलो कुछ तूफानी करते हैं!
लेकिन वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने अपनी इस दुविधा का समाधान निकाल लिया और मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी को नियुक्त कर दिया! लेकिन मुख्यमंत्री तो बना दिया वहीं दूसरी ओर पंजाब प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी का इस्तीफा दे दिया! ऐसे में कांग्रेस पार्टी फिर उसी दुविधा में आकर खड़ी हो गई!
इतना ही नहीं बल्कि कैप्टन अमरिंदर सिंह जो कि कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है वह इसके बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गए! अमरिंदर सिंह दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात करने पहुंच गए! वही ऐसे में अब कांग्रेस पार्टी की दुविधा फिर से डबल हो गई आखिर क्या होने वाला है?
खबर यह भी सामने आ रही है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री से मुलाकात करने के बाद अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मुलाकात की है! हालांकि इन मुलाकातों के चलते राजनीति में अटकलों का दौर जारी है! अब आगे देखना दिलचस्प रहेगा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी में ही रहते हैं या फिर भारतीय जनता पार्टी में जाकर अपनी नई पारी की शुरुआत कर लेते हैं?
]]>हम आपको बता दें कि इस समय उनके चाहने वाले उनसे लगातार या डिमांड कर रहे हैं कि वह अपने बेटे की एक तस्वीर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर कर दें. वैसे तो नुसरत जहां हमेशा से अपने निजी जीवन को लेकर खासकर अपने बॉयफ्रेंड यश दासगुप्ता को लेकर चर्चा में रहती हैं. यश दासगुप्ता के साथ उनके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं.
हालांकि इस समय इन दोनों की जोड़ी को सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया जा रहा है. नुसरत जहां यश के साथ अपने रिलेशनशिप पर मोहर लगा चुकी है. आपको बता दें कि जब से वह अपने पति के साथ अलग हुई थी तब से यह कयास लगाया जा रहा था, कि वह प्रेग्नेंट है ऐसे में बहुत से लोग उनके कैरेक्टर को लेकर भी सवाल उठा रहे थे. लेकिन उन्होंने अपने ट्रोलर्स और सवाल उठाने वालों का बेहद सशक्त तरीके से विभाग जवाब दे दिया.
हम आपको बता दें कि नुसरत जहां के एक्स हसबैंड निखिल जैन भी उन पर लगातार आरोप लगा रहे थे कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है वहीं दूसरी तरफ नुसरत ने भी उन्हें अपना पति मानने से इनकार कर दिया था.
इन्हीं सब के कारण निखिल जैन नुसरत जहां के बीच में दूरियां आ गई थी और बंगाली अभिनेता यश दासगुप्ता के साथ नुसरत जहां का रिश्ता कायम हो गया.
]]>दरअसल हरियाणा में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को एक बड़ा ऐलान कर दिया है कि यदि एमएसपी को कोई ख तरा हुआ तो वह पार्टी के सभी विधायकों के साथ इस्तीफा दे देंगे! वही दुष्यंत चौटाला का यह भी कहना है कि ना तो किसी की जमीन के ऊपर कब्जा होगा और ना ही मंडिया बंद होगी और ना एमएसपी खत्म होगी और यदि ऐसा होता है तो वह खुद और बीजेपी के सभी विधायक एक पल के लिए भी अपने पदों पर नहीं रहेंगे और इस्तीफा दे देंगे! साथ ही उनका कहना है कि 15 अक्टूबर तक प्राइवेट जॉब में 75% आरक्षण हो जाएगा!
इतना ही नहीं बल्कि हरियाणा के उपमुख्यमंत्री का कहना है कि पिछले 10 महीनों के अंदर राजनीतिक दलों से जुड़े कुछ लोग किसानों को गुमराह करने की भी कोशिश कर रहे हैं जिसमें तीन प्रमुख बातों का उल्लेख किया गया था एमएसपी खत्म हो जाएगा, मंडिया बंद हो जाएगी और किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा तो मैं दोहराना चाहता हूं कि यदि इन तीनों कानूनों में से किसी एक को भी खतरा होता है तो हमारी पार्टी के सभी 10 विधायक इस्तीफा दे देंगे यदि किसानों की जमीन हड़प ली जाती है या फिर एमएसपी को खत्म कर दिया जाता है तो हम 1 मिनट में ही इस्तीफा पेश कर देंगे!
]]>एक तरफ शिवसेना की उत्तर प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में तय हुआ कि पार्टी यूपी में 403 सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो दूसरी तरफ शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि पार्टी करीब 100 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी.
शिवसेना सांसद संजय राउत ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हम करीब 100 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं. और गोवा में हम 20 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं जिसके लिए तैयारियां चल रही हैं.
This is BJP's internal matter (Gujarat CM's resignation). We'll contest the elections in Uttar Pradesh on around 100 seats (total 403 seats), which will take place next year. In Goa, we'll contest elections on more than 20 seats, we may form an alliance: Sanjay Raut, Shiv Sena pic.twitter.com/im5V399A5n
— ANI (@ANI) September 12, 2021
उत्तर प्रदेश शिवसेना प्रमुख ठाकुर सिंह ने शनिवार को कहा था कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान राज्य सरकार ब्राह्मणों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रही है और महंगाई और बेरोजगारी अपने चरम पर है। ऐसे में पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है.
]]>अगर उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश में कुल 403 सीटों पर वोटिंग होनी है जिनमें से 259-267 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी आती हुई नजर आ रही हैं तो वही समाजवादी पार्टी को इस सर्वे के अनुसार ज्यादा से ज्यादा 117 सीटें मिलती नजर आ रही है और वही बहुजन समाज पार्टी को 16 कांग्रेस को 7 सीट!
वही दूसरा राज्य उत्तराखंड का भी यही हाल है! यहां पर 70 सीट के लिए वोटिंग होनी है जिसमें भारतीय जनता पार्टी ज्यादा से ज्यादा 48 सीट जीती हुई नजर आ रही हैं तो कांग्रेस पार्टी मात्र से ही सीटों पर सिमटी हुई नजर आ रही है!
ऐसे में गोवा में भी चुनाव होने हैं जिसमें 40 सीटों के ऊपर वोटिंग की जाएगी और यहां पर भी भारतीय जनता पार्टी अच्छी बढ़त में दिख रही है सर्वे के अनुसार बीजेपी को गोवा राज्य में 26 सीट मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है तो कांग्रेस पार्टी को मात्र 7 सीटों से ही संतुष्ट होना पड़ रहा है!
आखिर में चौथा राज्य मणिपुर जिसमें चुनाव होने वाले हैं और यहां पर 60 सीटों पर वोटिंग होनी है जिसमें से बीजेपी को 36 और कांग्रेस पार्टी को 22 सीट मिलती नजर आ रही है!
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]]>बता दें कि अटल बिहारी का जन्म ग्वालियर में हुआ था तो चलिए आज आपको बताते हैं कि वह आखिरकार क्या मदद की जो अटल बिहारी की इच्छा को पूरी करने में मददगार साबित हो गई थी?
अटल बिहारी वाजपेई की शुरुआती शिक्षा ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर से हुई थी और उनकी उच्च शिक्षा विक्टोरिया कॉलेज लक्ष्मीबाई कॉलेज बन चुका है वहां से हुई थी! वह अपनी उच्च शिक्षा का सपना पूरा करने में असमर्थ थे लेकिन ग्वालियर के उस समय के महाराज ने अटल बिहारी की मदद कर दी और उनको सिंधिया राजघराने से स्कॉलरशिप दिलवा दी!
राजमाता विजया राजे और महाराज जीवाजीराव अटल बिहारी को पहले से ही जाना करते थे और जीवाजीराव से अटल बिहारी के काफी अच्छे रिश्ते हुआ करते थे! माधवराव सिंधिया के पिता जीवाजीराव की मदद से ही अटल बिहारी ने अपने उच्च शिक्षा का सपना पूरा किया था!
हालाकी अटल बिहारी वाजपेई और माधवराव सिंधिया बनेगी एक समय में ग्वालियर में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव में ऊठे थे लेकिन दोनों के बीच रिश्ते काफी अच्छी हुआ करते थे! माधवराव सिंधिया की नि धन के बाद भी अटल बिहारी वाजपेई उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के संपर्क में हमेशा रहते थे! वही राजमाता सिंधिया भी अटल बिहारी को अपना धर्म पुत्र मना करती थी और उनके लिए अपने बेटे के खिलाफ जाकर चुनाव प्रचार भी किया था!
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