Breaking News : जय राम सरकार ने किया सबसे बड़ा खुलासा,पूर्व सरकार के दो मंत्री और दो MLA शिकंजे में मची कांग्रेस में खलबली,सचाई से जनता हैरान।
Uncategorizedअब जो कांग्रेस की पोल खुली है उसने पूरी कांग्रेस की नींद हराम कर दी है इस बड़े खुलासे से प्रदेश की जनता के सामने आया कांग्रेस का काला चेहरा।
कोटी वन रेंज में देवदार के सैकड़ों पेड़ कटने के पीछे की सच्चाई सामने आने लगी है। पूर्व कांग्रेस सरकार के दो मंत्रियों व दो विधायकों के घरों में लाखों रुपये की लकड़ी दो नंबर में पहुंची थी। दो विधायकों के घरों में भी इस लकड़ी का इस्तेमाल हुआ। इसके अलावा मंत्रियों, विधायकों व अफसरों के कई रिश्तेदारों ने भी कोटी की लकड़ी से बहती गंगा में हाथ धोए हैं। कांग्रेस सरकार के आइएएस अधिकारियों ने भी अपने घर मुफ्त की लकड़ी से सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
शिमला जिला के तहत आने वाली कोटी वन रेंज में पेड़ काटने पर पूर्ण प्रतिबंध है लेकिन राजनीतिक संरक्षण में खुलेआम पेड़ कटते रहे। इस क्षेत्र में सरकारी वन भूमि से करीब 550 पेड़ कटने का मामला सामने आया है। जंगल में अवैध रूप से लकड़ी कटने के अतिरिक्त पत्थर व स्लेट भी नेताओं और अधिकारियों के घरों की सजावट में इस्तेमाल हुए हैं। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पेड़ कटान होता रहा। भाजपा सरकार में अवैध वन कटान का मामला तब सामने आया जब कई अधिकारी एक साथ शिकायत मिलने पर मौके पर पहुंचे थे। इससे जाहिर है कि पहले मौके पर जाने वाला हर अधिकारी वन कटान पर पर्दा डालता रहा। संबंधित डीएफओ ने रिपोर्ट वन विभाग को भेज दी थी। उसके बाद पीसीसीएफ एसके शर्मा ने भी इस रिपोर्ट को स्वीकृति देते हुए सरकार को भेजा था। इस मामले में आरोपी भूपराम के साथ वन व राजस्व अधिकारी भी शामिल हैं। अब पुलिस में मामला दर्ज होने पर जांच शुरू हो चुकी है।
वनरक्षक उगलेगा राज
हैरानी यह है कि कोटी वन रेंज में सेवारत वनरक्षक दस साल तक सेवाएं देता रहा। सरकारी जमीन से पेड़ कटते चले गए और उसने नहीं देखा। बड़ा सवाल यह है कि वनरक्षक, आरोपी भूपराम और राजस्व विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों की मिलीभगत से जंगलों से पेड़ कटते चले गए। पुलिस इस मामले में आधुनिक जांच पद्धति का इस्तेमाल करेगी। वनरक्षक इस मामले में कई राज उगल सकता है।
दो बार कटे पेड़
पहली बार 416 पेड़ कटने का मामला सामने आया था। उसके बाद 137 पेड़ काटे जाने की सूचना सार्वजनिक हुई। खास बात यह है कि उस क्षेत्र के निवासी भूपराम ने अपनी जमीन से पेड़ नहीं काटे और सरकारी जंगल की सफाई होती चली गई।
मंजूर नहीं हुआ था आवेदन
भूपराम ने खनन के लिए साइट प्राप्त करने के लिए महज आवेदन किया था। आवेदन मंजूर नहीं हुआ था। इसके बावजूद पेड़ कटते चले गए। राजस्व अधिकारी व वन अधिकारी इस घोटाले में बराबर के जिम्मेदार हैं।
सामने लाऊंगा पूर्व मंत्रियों, विधायकों व आला अधिकारियों के नाम
मैं कोटी की लकड़ी अपने घरों में इस्तेमाल करने वाले कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों, विधायकों व आला अधिकारियों के नाम सामने लाऊंगा। इतना बड़ा वन कटान घोटाला बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं हो सकता था। लोगों ने कोटी से लकड़ी के अतिरिक्त पत्थर व स्लेट अपने घरों में पहुंचाए। भूपराम को माइनिंग के लिए साइट स्वीकृत नहीं हुई थी, उसके बावजूद सरकारी वन भूमि से पेड़ कैसे कटते रहे? हालत यह है कि वन कटान से जुड़े अधिकारी मामले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन मैं भ्रष्टाचार को दबने नहीं दूंगा।
-गोविंद सिंह ठाकुर, वन मंत्री