महाराष्ट्र के इस आदमी ने करी अपने बैल को तेहरवी और खिलाई गांव वालो दावत, वजह जानकर हो जायेंगे आप भी भावुक

अगर आज के समय की बात की जाए तो दुनिया में नई तकनीक आते ही जा रहे हैं जिससे लोग अपने पुराने तौर-तरीकों को जा रहे हैं 14 तारीख को अपना भी जा रहे हैं जैसा कि पहले खेतों में बैल का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन आज मशीन से खेती करने लग जाए लेकिन भारत देश आज भी ऐसा है जहां पर कई लोग है कि जो पुरानी तकनीक का ही इस्तेमाल करते हैं जैसे कि खेतों के अंदर गैरों से ही जोतते है! किसान एक बैल को अपने परिवार के सदस्य की तरह ही मानता है और उसका ध्यान भी रखता है!

आज हम आपको अपनी इस लेख के माध्यम से एक किसान और बैल की कहानी के बारे में ही बताने जा रहे हैं जो कि महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले की देवपुर की है बात कुछ ऐसी है कि 25 साल पहले संदीप नरोते के पिता अपने घर एक बछड़ा लेख जिसका नाम उन्होंने सुक्रया रखा था! उसकी उम्र ज्यादा ना होने के कारण नरोटे परिवार ने उस बैल से काम लेना ही बंद कर दिया था लेकिन उसके बावजूद भी उसकी देखभाल बिल्कुल वैसे ही की जाती थी जैसे उसके घर की किसी बुजुर्ग की की जाती हो!

बुजुर्ग होने की वजह से उस बैल की एक दिन मृ त्यु हो गई तो ऐसे में परिवार ने बैल का विधिवत अंतिम संस्कार भी किया जो कि एक अचंभित करने वाली बात है वही मैंने परिवार का खेती करने में काफी लंबे समय तक साथ दिया है लेकिन जब उसकी उम्र बहुत ज्यादा हो गई तो परिवार ने उस बैल से ही काम करवाना बंद कर दिया ऐसा भी देखा जाता है कि जब बैल किसान के किसी काम की नहीं रह जाता है तो उन्हें या तो बेसहारा छोड़ दिया जाता है या फिर बूचड़खाने वालों को भेज दिया जाता है लेकिन संदीप ने ऐसा बिल्कुल नहीं किया बल्कि उसने और उसके परिवार ने उस बैल का बिल्कुल वैसे ही ध्यान रखा जैसे एक बुजुर्ग का रखा जाता है!

बैल बहुत ही ताकतवर था और वह बैल गाड़ियों की दौड़ में भी काफी तेज दौड़ता था ऐसे में संदीप बताते हैं कि एक बार वह उनका 4 साल का बेटा सोहम बैलगाड़ी से कहीं जा रहे थे तभी अचानक सोहम बैलगाड़ी से नीचे गिर गया था तो सोहन बैलगाड़ी के पहिए और बैल के बीच में गिरा था यह पता चलते ही एकदम रुक गया अगर वह बैल नहीं होता तो बैल गाड़ी का पहिया उसके बेटे के ऊपर चढ़ जाता!

हालांकि जब उसकी मृ त्यु हुई तो संदीप ने उस बैल का अंतिम संस्कार बिल्कुल वैसे ही किया है जैसे किसी सदस्य किया जाता है इतना ही नहीं बल्कि उसकी आत्मा की शांति के लिए संदीप ने 13 दिन तक का तेहरवी भी करवाया और गांव वालों को खाना खिलाया है साथ ही बैल की तस्वीर पर फूल माला भी चढ़ाई गई है!

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